आज से जागेंगे देव, मांगलिक कार्यों की बेला शुरु
कॉस्मिक एस्ट्रो पिपली के डायरेक्टर ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि काíतक शुक्ल एकादशी पर आठ नवंबर को देव जागरण का पर्व मनाया जाएगा। भगवान श्रीहरि इस तिथि को योग निद्रा से जागेंगे। इसके साथ ही मांगलिक कार्यो की शुरुआत होगी।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: कॉस्मिक एस्ट्रो पिपली के डायरेक्टर ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि काíतक शुक्ल एकादशी पर आठ नवंबर को देव जागरण का पर्व मनाया जाएगा। भगवान श्रीहरि इस तिथि को योग निद्रा से जागेंगे। इसके साथ ही मांगलिक कार्यो की शुरुआत होगी।
ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल हरिशयन एकादशी को भगवान चार महीने के लिए शयन करने चले जाते हैं, फिर प्रबोधनी या देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं। इस बार देवोत्थान एकादशी 8 नवंबर को है। इसी दिन चातुर्मास व्रत का भी समापन होगा। इस दौरान हिदुओं के सारे शुभ मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि संपन्न नही होते हैं।
प्रबोधिनी एकादशी पर काला तिल और तुलसीदल से स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ और जन्म जन्मांतर की समस्याओं का निराकरण हो जाता है। मान्यता है कि एकादशी पर सूर्य की किरणों का जल पर विशेष प्रभाव पड़ता है जिससे त्वचा और कुष्ट रोग दूर हो जाते हैं। प्रबोधिनी एकादशी पर विष्णु भगवान को पूरे विधि-विधान से भक्त जगाते हैं।
इस विशेष दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी विवाह करने की भी परंपरा बताई जाती है। देवउठनी एकादशी हर साल काíतक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। हिदू धर्म में इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजा करने का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन तुलसी पूजन से भगवान विष्णु और लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। लेकिन तुलसी पूजा करते समय हर व्यक्ति को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।