Move to Jagran APP

कार्य संस्कृति से बनती है संस्थान की पहचान : शर्मा

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रत्येक कर्मचारी योगस्थ होकर विश्वविद्यालय के लिए श्रेष्ठ करेगा तभी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय आने वाले समय में श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनेगा। कार्य संस्कृति ही किसी संस्थान की पहचान होती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 06:30 AM (IST)
कार्य संस्कृति से बनती है संस्थान की पहचान : शर्मा
कार्य संस्कृति से बनती है संस्थान की पहचान : शर्मा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रत्येक कर्मचारी योगस्थ होकर विश्वविद्यालय के लिए श्रेष्ठ करेगा, तभी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय आने वाले समय में श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनेगा। कार्य संस्कृति ही किसी संस्थान की पहचान होती है। वे शुक्रवार को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षण अभियान के तहत कुवि के सेंटर फार कांटिन्यूइंग एजुकेशन व स्थापना शाखा के संयुक्त तत्वावधान में सीनेट हॉल में नवनियुक्त लिपिकों व स्टेनो के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि कुवि का ध्येय वाक्य योगस्थ कुरू कर्माणि है यानि कार्य से कुशलता की ओर जब प्रत्येक कर्मचारी कुशल होगा व विद्यार्थी व समाज को लेकर संवेदनशील होगा, तभी आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय नई उंचाईयों को छू सकेगा। विश्वविद्यालय को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के रूसा प्रोजेक्ट के तहत विशेष अनुदान प्राप्त हुआ है। यह अनुदान विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता के लिए मिला है। अगर कार्य संस्कृति बदली व बेहतर हुई तो आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय को 100 करोड़ का ही नहीं इससे भी बड़ा अनुदान मिल सकता है। डीन एकेडमिक अफेयर एवं रूसा नोडल आफिसर प्रो. मंजूला चौधरी ने कहा कि रूसा का उद्देश्य विश्वविद्यालय का संपूर्ण विकास है। इसके लिए ही रूसा की तरफ से नए-नए पाठ्यक्रम व प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं जिनके आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय, विद्यार्थी, शिक्षक , कर्मचारी एवं समाज को फायदा होगा। कर्मचारी कुशल होंगे तो विश्वविद्यालय में काम की गति बढ़ेगी व हम विद्यार्थियों को बेहतरीन सुविधाएं दे सकेंगे। कुलसचिव डॉ. नीता खन्ना ने कहा कि किसी भी श्रेष्ठ, सफल संस्थान में कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। नवनियुक्त कर्मचारी अगले 20-30 वर्ष अपनी सेवा देंगे। वे जिस मनस्थिति व मानसिकता के साथ काम करेंगे वैसा ही विश्वविद्यालय बनेगा। उन्होंने कर्मचारियों से अपील की कि वे इस कोर्स का लाभ उठाएं व अपने कार्य में कुशलता हासिल करें। सेंटर फार कांटिन्यूइंग एजुकेशन के कोर्डिनेटर प्रो. एसएस बूरा ने बताया कि सेंटर का उद्देश्य उन लोगों को शिक्षित व प्रशिक्षित करना हैं जिन्हें अब तक ऐसे व्यवहारिक प्रशिक्षण नहीं मिलते हैं। उन्होंने बताया कि इस कोर्स में कर्मचारियों को आफिस मैनेजमेंट, नोटिग, ड्राफ्टिग, कार्यालय व्यवहार, आरटीआई, कम्यूनिकेशन स्किल, स्टैस मैनेजमेंट, वित्त प्रबंधन सहित विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। मंच का संचालन डॉ. अशोक कुमार ने किया। इस अवसर पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. पवन शर्मा, प्रो. रजनीश शर्मा, प्रो. प्रदीप कुमार, प्रो. संजीव अग्रवाल, प्रो. मोहिद्र चांद मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.