कोच भेजा न खर्चा दिया, पदक जीते तो कॉलेज ने श्रेय लिया
विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र : देश के पहले श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के तीन विद्यार्थियों ने अभावो
विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र : देश के पहले श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के तीन विद्यार्थियों ने अभावों के बावजूद भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय आयुर्वेद क्रीड़ा महोत्सव में तीन पदक जीतकर लौटे। इन खिलाड़ियों को बेवारिसों की तरह कॉलेज ने प्रतियोगिता में भेज दिया। अब जब वे पदक जीतकर लौटे तो विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी पीठ थपथपाने के लिए आगे आ गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रेस नोट जारी कर उन्हें सम्मानित करने की घोषणा कर दी। मगर तीन हजार विद्यार्थियों को पछाड़ने वाले इन खिलाड़ियों को कॉलेज प्रशासन ने जाते हुए एक रुपये तक की मदद नहीं की। यहां तक कि एंट्री फीस भी विद्यार्थियों को अपनी जेब से देनी पड़ी। मगर व्यवस्थाओं के अभाव में भी जब विद्यार्थियों ने पदक जीत लिए तो विश्वविद्यालय अपना नाम चमकाने के लिए आगे आ गया। मगर जीतकर आने वाले खिलाड़ियों ने हड़ताल और प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए किसी भी तरह की मदद नहीं किए जाने पर सम्मान लेने से मना कर दिया है। न कोच भेजा न ही कोई शिक्षक
श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज से 21 विद्यार्थी राष्ट्रीय आयुर्वेद क्रीडा महोत्सव खेलने के लिए भोपाल गए थे। इनमें छात्राएं भी शामिल थीं। मगर कॉलेज प्रशासन ने शिक्षक या कोच तक भेजना उचित नहीं समझा और छात्रों को अपने बूते पर कॉलेज से साढ़े 900 किलोमीटर दूर जाना पड़ा। जबकि प्रदेश भर के 150 महाविद्यालयों से अधिक संस्थानों से तीन हजार विद्यार्थियों ने भाग लिया था। विद्यार्थियों का आरोप है कि सभी के आने जाने का खर्च और एंट्री फीस शैक्षणिक संस्थानों की ओर से वहन की गई थी और उनके साथ कोच और शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई थी। विद्यार्थियों के आरोप..
एक बैड¨मटन में रजत पदक जीतने वाले बीएएमएस प्रथम वर्ष के छात्र मनीष जांगड़ा ने बताया कि खिलाड़ी केवल अपने लिए नहीं खेलता वह अपने कॉलेज, विश्वविद्यालय प्रदेश और देश के लिए खेलता है। मनीष जांगड़ा ने बताया कि विद्यार्थियों ने 750 रुपये एंट्री फीस से लेकर आने-जाने, रहने व खाने-पीने का सारा खर्च अपनी जेब से दिया। कोई कोच भी नहीं भेजा
ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीतने वाली इंटर्न अनु ने कहा कि कॉलेज किसी भी तरह की आर्थिक मदद करने से मना कर चुका था। ऐसे में विद्यार्थियों को अपनी जेब से सब खर्च करना पड़ा। सुरक्षा की दृष्टि से भी कॉलेज प्रशासन को शिक्षक या कोच की व्यवस्था की जानी चाहिए थी। जब आर्थिक मदद नहीं की तो सम्मान लेकर क्या करेंगे
लंबी कूद में कांस्य पदक जीतने वाले बीएएमएस द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी सुरेश ने कहा कि सम्मान का क्या फायदा जब विद्यार्थियों की आर्थिक मदद ही नहीं की जाती। राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की प्रतियोगिता हुई और कॉलेज ने मदद करने के नाम पर हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में बाद में सम्मान देने से अच्छा है कि आने वाले खिलाड़ियों को प्रेरित करने के कोई व्यवस्था की जाए। कॉलेज की ओर से व्यवस्था की जानी चाहिए थी : कार्यकारी प्राचार्य
श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के कार्यकारी प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि प्राचार्या के छुट्टी पर जाने के बाद कुछ दिन के लिए उन्हें अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। विद्यार्थी शनिवार को उनसे इस संज्ञान में मिले थे। कॉलेज की ओर से व्यवस्था की जानी चाहिए। नहीं हुई वो कैसे अभी उनके पास पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन भविष्य में खिलाड़ियों के लिए इसका ध्यान रखा जाएगा।