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मंडी में कबाड़ के ढेर कर रहे स्वागत

संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद : कस्बे की अनाज मंडी सरकार को राजस्व देने में एक नंबर है, मगर सुविधाओं के मामले में फिसड्डी साबित हो रही है। अनाज मंडी में घुसे तो मुख्य द्वारों के आसपास से ही गंदगी का आलम नजर आया। मंडी की पांच सड़कों पर जगह-जगह कबाड़ के ढेर आने वालों का स्वागत करते हैं। हालांकि कबाड़ उठाने का लाखों में ठेका दिया जाता है, मगर इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 07:06 PM (IST)
मंडी में कबाड़ के ढेर कर रहे स्वागत
मंडी में कबाड़ के ढेर कर रहे स्वागत

संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद : कस्बे की अनाज मंडी सरकार को राजस्व देने में एक नंबर है, मगर सुविधाओं के मामले में फिसड्डी साबित हो रही है। अनाज मंडी में घुसे तो मुख्य द्वारों के आसपास से ही गंदगी का आलम नजर आया। मंडी की पांच सड़कों पर जगह-जगह कबाड़ के ढेर आने वालों का स्वागत करते हैं। हालांकि कबाड़ उठाने का लाखों में ठेका दिया जाता है, मगर इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। इस समय किसान धान लेकर मंडी पहुंच रहे हैं। किसानों को धान सड़कों के आसपास डालनी पड़ रही है। किसान सीधे तौर पर केवल आढ़ती पर ही निर्भर हैं। आढ़ती जहां चाहे वहीं धान का ढेर लगवा देते हैं। धान की सफाई में मजदूरों की टोलियां यहां वहां लगी हुई हैं। मंडी के तीन शेड किसानों के लिए कम और अतिक्रमण में अधिक प्रयोग होते नजर आए। कहीं कबाड़ के ढेर तो कहीं लकड़ी के करेट पड़े हैं। इन मजदूरों व किसानों के लिए पीने का पानी मार्केट कमेटी द्वारा लगाए वाटर कूलरों से ही उपलब्ध होता है। वाटर कूलरों के बाहर नलों के आसपास गंदगी जमी है। नीचे बहते पानी में मच्छरों की भरमार है। सरकार की ओर से मंडी में आरओ के पानी का कोई प्रबंध नहीं है। आगे बढ़े तो गंदे नाले गंदगी से भरे मिले। इनकी सफाई न होने से वातावरण तक दुर्गधमय पाया। मंडी की दुकानों के पीछे के रास्ते भी केवल गंदगी के ढेरों से ही लदे नजर आए। यहां वहां कबाड़ में आग लगाने से धुआं निकलता दिखाई दिया। मंडी में सुलभ शौचालय की व्यवस्था है मगर अधिकांश लोग दीवारों के आसपास बने अस्थायी शौचालयों का इस्तेमाल करते नजर आए। इनके आसपास पानी का प्रबंध न होने से माहौल बदबूदार नजर आया। फोटो संख्या : 13

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अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के सचिव बलदेव शर्मा कहते हैं कि सफाई की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। मंडी में किसानों व मजदूरों के लिए के लिए किसी सरकारी डिस्पेंसरी तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अधिकांश मजदूर झोला छाप डाक्टरों का शिकार होते हैं। मंडी में नाक, कान, गला व आंखों के रोगों से मजदूर अधिक पीड़ित रहते हैं।


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