भागवत कथा में सुनाया वामन अवतार प्रसंग
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: गो-गीता-गायत्री सत्संग सेवा समिति की ओर से दर्रा खेड़ा पंचायती धर्मश्
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: गो-गीता-गायत्री सत्संग सेवा समिति की ओर से दर्रा खेड़ा पंचायती धर्मशाला में आयोजित श्रीमछ्वागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक पंडित अनिल शास्त्री ने वामन अवतार प्रसंग सुनाया। इस मौके पर वामन भगवान की झांकी दिखाई गई। दर्रा खेड़ा सेवा समिति के प्रधान अमरपाल सैनी और सभी सदस्यों ने भागवत पूजन करके दीप प्रज्ज्वलित किया। वामन अवतार प्रसंग में बताया गया कि वामन विष्णु के 5वें तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे, जो मानव शरीर में बौने ब्राह्मण के रुप में प्रकट हुए। वामन ऋषि कश्यप तथा अदिति के पुत्र थे। वह आदित्यों में 12वें थे। ऐसी मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे। वामन को तीन पैरों वाला दर्शाया गया है। त्रिविक्रम रुप में एक पैर धरती पर दूसरा आकाश पर तथा तीसरा बलि के सिर पर भागवत कथा के अनुसार विष्णु ने इंद्र का देवलोक में पुन: अधिकार स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। बलि विरोचन के पुत्र तथा भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे। वे एक दयालु असुर राजा के रुप में जाने जाते थे। यह भी कहा जाता है कि अपनी तपस्या और ताकत के माध्यम से बलि ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था। वामन एक बौने ब्राह्मण के वेष में बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य के बार-बार मना करने के बावजूद भी बलि ने वामन को तीन पग भूमि दान देने का वचन दे डाला। भागवत आरती में सतीश सैनी, धर्मपाल जांगड़ा, सोमप्रकाश, विनोद सैनी, सुनील सैनी काकू, मुकेश अनेजा, राजेश कुमार, अश्वनी सैनी, बंटी, विकास सैनी, राजेंद्र मोहन जांगड़ा, शंकर सैनी, रमेश, सौरभ सैनी, शिवम, शीशपाल, लाल चंद और ईश्वर सैनी आदि मौजूद रहे।