न्यायालय के कामकाज में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल असंवैधानिक : कौशिक
न्यायालयों बुधवार को में काम-काज के लिए ¨हदी भाषा को प्राधिकृत किए जाने की मांग को लेकर भारतीय भाषा अभियान के उत्तर क्षेत्र के संयोजक नवीन कौशिक, प्रदेश संयोजक विशाल जौली के नेतृत्व में बड़ी संख्या में सरपंचों ने एसडीएम के ज्ञापन सौंपा और न्यायालय के कामकाज में अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल को असंवैधानिक बताया। इससे पूर्व दोनों ने मारकंडेश्वर मंदिर परिसर में सरपंचों की बैठक को संबोधित किया।
संवाद सहयोगी, शाहाबाद : न्यायालयों बुधवार को में काम-काज के लिए ¨हदी भाषा को प्राधिकृत किए जाने की मांग को लेकर भारतीय भाषा अभियान के उत्तर क्षेत्र के संयोजक नवीन कौशिक, प्रदेश संयोजक विशाल जौली के नेतृत्व में बड़ी संख्या में सरपंचों ने एसडीएम के ज्ञापन सौंपा और न्यायालय के कामकाज में अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल को असंवैधानिक बताया। इससे पूर्व दोनों ने मारकंडेश्वर मंदिर परिसर में सरपंचों की बैठक को संबोधित किया।
नवीन कौशिक ने कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में जिस तरह अंग्रेजी के साथ साथ ¨हदी के प्रयोग की अनुमति है उसी तरह पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में ¨हदी व पंजाबी भाषा को प्राधिकृत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में अंग्रेजी को छोड़कर 22 भाषाओं को संविधान की आठवीं सूची में दर्ज किया गया है, लेकिन उसके बावजूद भी न्यायालय में अंग्रेजी को तवज्जो दी जाती है, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि राज्य भाषा में फैसला न मिलना पूरी तरह से मुद्दई के साथ अन्याय है। क्योंकि अंग्रेजी को मात्र कुछ लोग ही समझ पाते हैं और ज्यादा तादाद अंग्रेजी को न समझने वालों की है। इसलिए मुद्दई को समझ में आने वाली राजभाषा में फैसले मिलने चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए सबसे बड़ी समस्या ग्रामीणों को है क्योंकि वहां ज्यादा तादाद निरक्षर लोगों की है जो अंग्रेजी को बिल्कुल नहीं समझ पाते। जिस कारण वह अपने केस संबंधी मामलों का ज्ञान नहीं रख पाते। अगर यही फैसले उन्हें ¨हदी में उपलब्ध करवाए जाए तो वह अपने मामलों की अच्छी तरह से जानकारी व ज्ञान रख पाएंगे तथा अन्य कोई व्यक्ति उन्हें उलझा नहीं सकेगा। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह ¨हदी भाषा को अदालती कार्रवाई में मान्यता दे। हरियाणा के संयोजक विशाल जौली ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद भी न्यायपालिका से आग्रह कर चुके हैं कि मुद्दई को उसी भाषा में फैसले मिलने चाहिए, जिस भाष को वह समझ सके। बैठक में मौजूद सरपंचों ने इस विचारधारा पर सहमति जताई और इस अभियान के लिए अपना समर्थन दिया। सरपंच एसोसिएशन के प्रधान मलकीत ¨सह ने कहा कि अगर यह निर्णय लागू होता है तो इससे अवश्य ही आमजन को बड़ी राहत मिलेगी। इस अवसर पर प्रधान मलकीत ¨सह ढकाला, ¨रकू झरौली, ब्लॉक समिति के वाईज चेयरमेन ¨रकू चहल, विक्रम ¨सह बीबीपुर, अमरेंद्र सैनी कठवा, जंगबीर मोहनपुर, दलजीत बकाना, हरप्रीत ¨सह, नरेन्द्र ¨सह, कुलबीर कठवा, विजय मछरौली, अमरजीत मामूमाजरा, नेत्रपाल तंगौर, अमरदीप, बख्शीश नलवी, विनोद यारा, जगदीप आदि मौजूद रहे।