कला के रत्नों को तराशने के लिए विश्वविद्यालय शुरू करें कोर्स : सीएम
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित रत्नावली महोत्सव का बृहस्पतिवार को समापन हो गया। समपान समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विजेताओं को सम्मानित किया।
जेएनएन, कुरुक्षेत्र। यहां कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रत्नावली महोत्सव का समापन हो गया। समापन समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विजेता कलाकरों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के कला के रत्नों को तराशने के लिए विश्वविद्यालयों में नए कोर्स शुरू किए जाएं।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से संबंधित एक संस्थान की स्थापना की जानी जरूरी है। इन संस्थानों से युवा पीढ़ी शिक्षा और संस्कार लेकर राष्ट्र और समाज में संस्कारों और संस्कृति की जागृति ला सके।
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मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के समापन अवसर पर प्रतियोगिता में ऑल ओवर ट्राफी पर कब्जा करने वाली पानीपत के आर्य पीजी कॉलेज की टीम और रनरअप रही कुरुक्षेत्र यूटीडी की टीम को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को देर सायं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभाागर में युवा एवं सांस्कृ़तिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित इस चार दिवसीय रत्नावली महोत्सव का समापन किया।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल के साथ रत्नावली महोत्सव के विजेता टीमों के कलाकार।
मुख्यमंत्री ने भारत माता के उद्घोष के साथ अपने संबोधन में सर्वप्रथम शहीद सुशील को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने हरियाणा की स्वर्ण जयंती पर युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि रत्नावली जैसे अनोखे सांस्कृतिक कार्यक्रमों से एक विशेष प्रकार की अनुभूति होती है।
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उन्होंने कहा कि इस उत्सव में 3500 से ज्यादा कलाकारों ने 32 विधाओं में अपना प्रदर्शन किया। यह एक अनूठा और यादगार उत्सव रहा है। इस उत्सव से युवा पीढ़ी को हरियाणा सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने का मौका मिला और आज युवा पीढ़ी को संस्कृति की पहचान होना बहुत जरूरी है क्योंकि संस्कृति ही देश के प्रति निष्ठा को बनाकर रखती है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में रत्नावली आयोजकों ने विजेता रही प्रमुख पांच प्रस्तुतियां भी दीं।
तस्वीरें : रत्नावली महोत्सव का समापन, सीएम ने कलाकारों को बांटे पुरस्कार
मुख्यमंत्री ने मंच से दी शहीद सुशील कुमार को श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री ने शहीद सुशील कुमार को रत्नावली के मंच से श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि लाखों जवान देश की सीमाओं की रक्षा केवल मात्र आजीविका के लिए नहीं, बल्कि देशभक्ति की भावना से कर रहे हैं। ऐसे अवसरों की आग और लौ हमेशा जलाकर रखनी चाहिए। यह तभी संभव होगा जब रत्नावली जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों से युवा पीढ़ी संस्कारवान होकर समाज को जागृत करने का काम करेगी।