छह दिन बाद भी 134 एके तहत नहीं मिले दाखिले
134ए के तहत दाखिलों के लिए एक मई को पहली सूची जारी हुई थी। छह दिन बीत चुके हैं लेकिन किसी भी विद्यार्थी को अब तक दाखिला नहीं मिला। परेशान अभिभावक पहले स्कूलों में पहुंचे लेकिन जब स्कूल वालों ने दाखिला नहीं दिया तो जिला शिक्षा अधिकारी(डीईओ) कार्यालय में पहुंचे।
जागरण संवाददाता, कैथल : 134ए के तहत दाखिलों के लिए एक मई को पहली सूची जारी हुई थी। छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन किसी भी विद्यार्थी को अब तक दाखिला नहीं मिला। परेशान अभिभावक पहले स्कूलों में पहुंचे, लेकिन जब स्कूल वालों ने दाखिला नहीं दिया तो जिला शिक्षा अधिकारी(डीईओ) कार्यालय में पहुंचे। जिला शिक्षा अधिकारी नहीं मिले तो वहां कार्यालय में ज्ञापन देकर डीसी के पास पहुंचे। डीसी भी नहीं मिली तो सीटीएम को ज्ञापन दिया। ज्ञापन देकर अभिभावकों ने तुरंत दाखिले दिलाने की मांग की है।
अभिभावकों ने बताया कि वे हर रोज स्कूल अपने बच्चों के दाखिले के लिए जाते हैं। पहले कई दिन तो सूची नहीं आने की बात कहते रहे, लेकिन अब तो रिसेप्शन से ही भगा देते हैं। कुछ स्कूल दाखिले के लिए इतनी फीस मांग रहे हैं कि जो अभिभावकों के लिए देनी संभव नहीं हैं। अगर इतने पैसे होते तो एक महीना बच्चों को घर पर नहीं बैठाते।
10 मई है दाखिले के
लिए अंतिम तारीख
पहली सूची एक मई को जारी हुई थी और 10 मई तक पहली सूची के बच्चों को जो स्कूल अलॉट हुए हैं उनमें दाखिला लेना था। अगर 10 मई तक दाखिला नहीं लेते तो उन सीटों को खाली मानकर दूसरी सूची में इंतजार कर रहे विद्याíथयों को ये स्कूल अलॉट किए जाने थे। सात मई को छुट्टी है। यही कारण है कि अभिभावक परेशान हैं उनको डर हैं कहीं वे दाखिले से वंचित ही न रह जाएं।
अभिभावकों की कहानी उनकी जुबानी...
दाखिले के लिए मना किया
ऋषिनगर निवासी मोहन दास ने बताया कि उनकी बेटी मुस्कान का दूसरी कक्षा में डीएवी स्कूल अलॉट हुआ है, लेकिन जब भी दाखिले के लिए स्कूल गया तो साफ मना कर दिया गया।
सही तरीके से बात भी नहीं करते
गांव बाबा लदाना निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि उनके बेटे पारस का नौवीं कक्षा में बीपीआर स्कूल पाडला अलॉट हुआ है। स्कूल वाले दाखिला देना तो बात भी सही तरीके से नहीं करते हैं।
निराशा हाथ लगती अभिभावक विजय कुमार ने बताया कि उनके बेटे प्रिस को दूसरी कक्षा में ग्याहर रूद्री स्कूल अलॉट हुआ है, लेकिन जब भी वे स्कूल जाते हैं तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। दाखिले के नाम पर बहुत जलील किया जा रहा है।
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