12 एमएम बारिश ने बढ़ाई ठंडक, खेती के लिए फायदेमंद
पिछले दो दिनों से छाए बादल बृहस्पतिवार की अल सुबह बरसे तो ठंडक बढ़ गई।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
पिछले दो दिनों से छाए बादल बृहस्पतिवार की अल सुबह बरसे तो ठंडक बढ़ गई। बादलों की गरज के साथ जिलाभर में 12 एमएम बारिश दर्ज की गई है। थानेसर में सबसे ज्यादा 17 एमएम तो इस्माईलाबाद में पांच एमएम बारिश हुई। कृषि विशेषज्ञ इस बारिश को फसलों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी उपयोगी बता रहे हैं। हालांकि अनाज मंडी में खुले में पड़ी बासमती की ढेरियों को आनन-फानन में तिरपाल से ढकना पड़ा। दिनभर आसमान में बादल छाए रहने से लोगों को ठंड से बचने के लिए अतिरिक्त प्रबंध करने पड़े।
नवंबर के अंतिम दिनों में मौसम ने करवट ले ली है। दो दिन से बादलों की चाल बनने के बाद बृहस्पतिवार को कुरुक्षेत्र में बारिश हुई। अल सुबह गरज के साथ शुरू हुई बूंदाबांदी सुबह नौ बजे तक जारी रही। ऐसे में सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों को छाते के साथ घर से निकलना पड़ा।
बादलों की गरज से घबराया किसान
इन दिनों गेहूं की बिजाई और अगेती आलू की पड़ाई का काम जोरों पर चल रहा है। तेज बारिश गेहूं की बिजाई को प्रभावित कर सकती है और बिजाई के बाद गेहूं की पैदावार को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में किसान आसमान में बादलों की चाल देखकर घबराए हैं। कई किसानों की बासमती अनाज मंडी में पड़ी है। ज्यादातर बासमती की ढेरियां मंडी में शेड के नीचे पड़ी हैं, लेकिन कई दुकानों पर खुले में पड़ी धान की बोरियों को बारिश ने भिगो दिया। बूंदाबांदी ने बढ़ाई ठंड
लाडवा: बुधवार मध्यरात्रि से शुरू हुई बूंदाबांदी ने क्षेत्र में ठंड बढ़ा दी है। सुबह 6 बजे तक रुक-रुक कर चली बारिश और बूंदाबांदी से नालियां ओवरफ्लो होने से शहर के बाजारों में कीचड़ हो गया, जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी उठानी पड़ी। बूंदाबांदी को गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। वहीं, सब्जी की फसल को भी फायदा होगा। सब्जी की काश्त करने वाले किसानों का कहना है कि बूंदाबांदी से अभी कोई नुकसान सब्जी-फसल को नहीं है, लेकिन बरसात ज्यादा हुई तो टमाटर, आलू और मटर की फसल को नुकसान हो सकता है। बरसात की जानकारी
थानेसर में 17 एमएम
शाहाबाद में 10 एमएम
बाबैन में 16.4 एमएम
लाडवा में 10 एमएम
इस्माईलाबाद में 5.2 एमएम
पिहोवा 14 एमएम
फसल के साथ-साथ पर्यावरण के लिए लाभदायक
कृषि उपनिदेशक डॉ. प्रदीप मील ने कहा कि बरसात फसलों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए लाभदायक रही है। इस बरसात से कोई नुकसान नहीं है। इन दिनों में आमतौर पर तेज बारिश नहीं होती।