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वैदिक संस्कृति को बचाने के लिए आगे आएं : ब्रह्माचारी

श्रीजयराम विद्यापीठ में सोमवार से तीन दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन का आगाज हुआ। संत महापुरुषों के सान्निध्य में राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन में वैदिक मंगलाचरण किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 11:27 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 11:27 PM (IST)
वैदिक संस्कृति को बचाने के लिए आगे आएं : ब्रह्माचारी
वैदिक संस्कृति को बचाने के लिए आगे आएं : ब्रह्माचारी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीजयराम विद्यापीठ में सोमवार से तीन दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन का आगाज हुआ। संत महापुरुषों के सान्निध्य में राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन में वैदिक मंगलाचरण किया गया। इसके उपरान्त ऋग्वेद की शाकल शाखा, सामवेद की कौथुम, सामवेद की राणायनीय, शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन व काण्व, अर्थवेद की शौनक व पैप्पलाद, कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तरीय शाखा का सस्वर वेद पाठ प्रकांड वैदिक विद्वानों ने किया। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मास्वरूप ब्रह्माचारी महाराज ने की। मुख्यातिथि महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के अध्यक्ष प्रो. प्रफुल्ल कुमार मिश्र और विशिष्ट अतिथि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय रहे।

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ब्रह्मास्वरूप ब्रह्माचारी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण भगवान ने कुरुक्षेत्र की धरती पर गीता का संदेश दिया। इसी धरती पर वेदों के ज्ञाता व प्रकांड वेद विद्वानों का आगमन हुआ है। जयराम विद्यापीठ में मानव कल्याण के लिए वेदों का मंथन व साक्षात्कार होगा। उन्होंने कहा कि वेद से ज्ञान, वेद से व्याकरण, वेद से भूगोल, वेद से ही ज्योतिष है। वेद ज्ञान का रूप है, मनुष्य को सांसारिक यात्रा करने के लिए वेदों का ज्ञान होना आवश्यक है। ब्रह्माचारी ने कहा कि जयराम आश्रम संस्कृत, संस्कृति, संस्कार के संरक्षण की संस्कृति है। वैदिक संस्कृति का संरक्षण हमारी संस्था की नींव है। भारतीयों को वैदिक संस्कृति को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।

वेदमय जीवन जीना चाहिए : प्रो. प्रफुल्ल

मुख्यातिथि महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के अध्यक्ष प्रो. प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने वैदिक संस्कृति को आचरण की संस्कृति बताया। उन्होंने कहा कि हम सबको वेदमय जीवन जीना चाहिए, यही हमारी परंपरा है। भारतीय संस्कृति का विकास वैदिक परंपरा से हुआ है। विशिष्ट अतिथि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल आधार वेद हैं। प्रो. पांडेय ने वेद पाठ की आठ विकृतियों के बारे में बताया।

गुरुकुलों के आर्थिक सहायता के लिए प्रयास : डा. दिनेश

सारस्वत अतिथि हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डा. दिनेश शास्त्री ने कहा कि गुरुकुलों को आर्थिक सहायता के लिए प्रयास किया जा रहा है। जो अति शीघ्र साकार हो रहा है। हरियाणा संस्कृत अकादमी वैदिक पाठशाला अलग से चलाने के लिए प्रयास करेगा। कार्यक्रम का संयोजन एवं मंच संचालन प्रो. शिव शंकर मिश्र ने किया।

ये रहे मौजूद

इस मौके पर प्रो. राजेश्वर मिश्र, प्रो. रामराज उपाध्याय, प्रो. रामानुज उपाध्याय, प्रो. राम सालाही द्विवेदी, प्रो. सुरेंद्र मोहन मिश्र, प्रो. हनुमान मिश्र, डा. अरुण कुमार मिश्र, सेवानिवृत आयुक्त टीके शर्मा, एसएन गुप्ता, राजेश सिगला व प्राचार्य डा. रणवीर भारद्वाज मौजूद रहे।


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