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स्कूल बसों की फिटनेस पर निगरानी का दावा, इसके बाद भी बच जाते हैं चालबाज

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण कार्यालय की ओर से स्कूल बसों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करते समय कड़ी निगरानी बरतने के दावे के बावजूद हालात बदल नहीं रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 09:45 AM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2019 09:45 AM (IST)
स्कूल बसों की फिटनेस पर निगरानी का दावा, इसके बाद भी बच जाते हैं चालबाज
स्कूल बसों की फिटनेस पर निगरानी का दावा, इसके बाद भी बच जाते हैं चालबाज

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

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क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण कार्यालय की ओर से स्कूल बसों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करते समय कड़ी निगरानी बरतने के दावे के बावजूद हालात बदल नहीं रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार इस तरह के हादसे सामने आते रहते हैं जिनकी वजह बसों का अनफिट होना है। हादसों के बाद जागे विभाग ने पिछले दिनों कमेटी गठित कर जिले भर के सभी स्कूलों की 760 बसों की जांच की है, जिनमें से 10 के कंडम घोषित होने पर अब कार्यालय के अनुसार जिले में कुल 750 स्कूल बसें हैं। इसी तरह सहकारी समिति की 31 बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं, लेकिन हकीकत में कई बार इससे ज्यादा बसें दौड़ने की शिकायतें भी आती रहती हैं।

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही पानीपत में हुए हादसे ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी है। सड़कों पर ऐसी बसें दौड़ रही हैं जो नियमानुसार सालों पहले कंडम घोषित हो गई हैं। खामियां उजागर हुई तो बनाई थी जांच कमेटी जब खामियां उजागर हुई थी तो जुलाई माह में डीसी की ओर से बैठक कर एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण कार्यालय की ओर से महावीर चंदेल, पुलिस विभाग से एएसआई अमर सिंह और जिला शिक्षा विभाग से शीशपाल जांगड़ा सहित तीन अधिकारियों में शामिल किया गया था। कमेटी के सदस्यों ने जुलाई से लेकर फरवरी माह तक सभी स्कूलों में जाकर 750 स्कूल बसों की जांच करने का दावा किया है। इससे पहले 760 स्कूल बसें थी, इसी जांच के बाद 10 बसें कंडम घोषित की गई हैं।

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फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते समय वीडियो ग्राफी का दावा

जिले में हर मंगलवार को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के लिए वाहनों की जांच होती है। इसी जांच की पूरी तरह से वीडियोग्राफी करवाई जाती है। लेकिन कई बार वाहन मालिक इस जांच पर भी सवालिया निशान खड़े कर चुके हैं। गत वर्ष तो स्कूल संचालकों ने अधिकारियों पर जानबूझकर परेशान करने और पैसे एंठने तक के आरोप लगाए थे। इसके बाद वीडियोग्राफी को और सख्ती से करने का फैसला लिया गया था।

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आठ साल तक के वाहन को दो साल में फिटनेस सर्टिफिकेट लेना जरूरी नियमानुसार आठ साल तक के वाहन को हर दो साल में फिटनेस सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। इससे पुराने वाहनों के लिए हर साल सर्टिफिकेट लिया जाना जरूरी है।

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समय-समय पर करते रहते हैं जांच क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण कार्यालय के अधिकारी सुनील ने बताया कि फिटनेस जांच को पूरी तरह से निष्पक्ष करने के लिए इसकी वीडियो ग्राफी करवाई जाती है। जिले भर की 750 स्कूली बसों और 31 परिवहन समिति की बसों को पूरी तरह जांच पड़ताल करने के बाद ही सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। इसके अलावा भी समय-समय पर जांच की जाती है और नियमों की अनदेखी करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है।


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