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नई शिक्षा नीति देश की प्रगति में एक मील का पत्थर साबित होगी

किसी भी देश की मजबूती उसकी शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर होती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:00 AM (IST)
नई शिक्षा नीति देश की प्रगति में एक मील का पत्थर साबित होगी
नई शिक्षा नीति देश की प्रगति में एक मील का पत्थर साबित होगी

नाम : डीन प्रो. कुलदीप सिंह ढींढसा

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जन्म : 27 नवंबर 1945

शिक्षा : एमएससी ऑनर्स, पीएचडी, फुल ब्राइट स्कोलर जर्मनी

उपलब्धि : असिस्टेंड प्रोफेसर, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार

पदोन्नति : एचओडी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : किसी भी देश की मजबूती उसकी शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर होती है। देश में पहली शिक्षा नीति 1968 में तैयार की गई। उसके बाद 1986 में राजीव गांधी के कार्यकाल में दूसरी शिक्षा नीति बनाई गई। जिसमें कंप्यूटर के प्रयोग पर बल दिया गया। 21वीं सदी की संभावनाओं और जनमानस की आकांक्षाओं को देखते हुए एक प्रभावी शिक्षा नीति बनाए जाने की जरूरत थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति 21वीं सदी की आवश्कताओं के मद्देन•ार रखकर बनाई है। यह वास्तव में एक सराहनीय कदम है और देश की प्रगति में एक मील का पत्थर साबित होगा।

ये सब दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रभारी जगमहेंद्र सरोहा ने साप्ताहिक साक्षात्कार में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के रसायन एवं जीव रसायन विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं बेसिक साइंस के डीन प्रोफेसर कुलदीप सिंह ढींडसा के साथ बातचीत में सामने आया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश। सवाल : नई शिक्षा नीति से किस तरह के बदलाव आएंगे?

जवाब : देश के चुनिदा शिक्षाविदों व शिक्षा के प्रशासकों ने कड़ी मेहनत और अनुसंधान के बाद एक आधुनिक शिक्षा नीति तैयार की है। यह शिक्षा जगत में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी। शिक्षा के लिए जीडीपी में छह प्रतिशत का प्रावधान सराहनीय कदम है।

सवाल : नई शिक्षा नीति के कब परिणाम आने शुरू होंगे?

जवाब : इस नीति के परिणाम दस साल बाद एक नए और विकसित भारत के रूप में दिखाई देंगे। उच्च शिक्षा में विद्यार्थी को विषयों के चयन की छूट और मल्टीपल एग्जिट सिस्टम विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएगा।

सवाल : नई शिक्षा नीति युवाओं के लिए किस तरह फायदेमंद होगी?

जवाब : इसमें ग्रेजुएशन कोर्स में चार साल का प्रावधान किया गया है। विद्यार्थी यदि चाहे तो एक साल बाद शिक्षा छोड़ सकता है और उसे सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा, यदि दो साल बाद छोड़ता है तो उसे डिप्लोमा दिया जाएगा, तीन साल बाद छोड़ता है तो उसे डिग्री प्रदान की जाएगी और चार वर्ष पूरा करने पर और उसे ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी। यह मास्टर्स कोर्स के लिए जरूरी होगी।

सवाल : इसमें और किस तरह के बदलाव सामने आएंगे?

जवाब : अब तक शिक्षा की कई रेगुलेटरी बॉडी जैसे कि यूजीसी, एआइसीटीई, एनएएसी व एनसीटीई का समावेश कर हॉयर एजुकेशन काउंसिल ऑफ इंडिया का गठन किया जाएगा। प्रेक्टिकल एप्लीकेशंस ऑफ नॉलेज और वर्कशॉप ट्रेनिग कौशल विकास में सहायक सिद्ध होगी।

सवाल : नई शिक्षा नीति के बारे में कोई दो टेस्ट?

जवाब : शिक्षा नीति की सफलता के दो टेस्ट हैं। एक यह पद्धति देश में कोचिग सेंटर की जरूरत को समाप्त कर देगी। दूसरा बेरोजगारी के आंकड़ों में कमी लाएगी। इसके लिए सरकारी विभागों और उच्च शिक्षा में कार्यरत अध्यापकों की प्रतिबद्धता और डेडिकेशन की आवश्यकता है।

सवाल : मिलिट्री ट्रेनिग के क्या फायदे होंगे?

जवाब : स्वामी विवेकानंद के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य मानव, जीवन और चरित्र निर्माण होना चाहिए। इसमें उनके सपनों को साकार होंगे। सक्षम विद्यार्थियों के लिए एक वर्ष की आवश्यक मिलिट्री ट्रेनिग का प्रावधान है। इससे श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण किया जा सकेगा।


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