ब्रह्मासरोवर के तटों पर बिखरी भारतीय संस्कृति की महक
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : ब्रह्मासरोवर के पावन तटों पर भारतीय संस्कृति की महक को दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है।
ब्रह्मासरोवर के तटों पर बिखरी भारतीय संस्कृति की महक
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : ब्रह्मासरोवर के पावन तटों पर भारतीय संस्कृति की महक को दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है। इस संस्कृति का एहसास करने के बाद एकाएक शहर और प्रदेश के लोग अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की ओर खींचे चले आ रहे हैं। इस महोत्सव में जहां शिल्पकार अपनी कला से पर्यटकों को मोहित कर रहे हैं, वहीं विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार पर्यटकों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं।
महोत्सव शिल्प और सरस मेले के चौथे दिन सुबह और शाम के समय दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों का पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर के लोक कलाकार मनोरंजन करने का काम कर रहे है। उत्तरी तट पर जहां राजस्थानी लोक कलाकार कच्ची घोड़ी नृत्य की प्रस्तुति देकर पर्यटकों को नृत्य करने के लिए उत्साहित कर रहे थे, उत्तर पश्चिमी तट पर बीन-बांसुरी की धुन पर लोक कलाकार भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। इस पावन तट के चारों तरफ किसी न किसी प्रदेश के कलाकर, बाजीगर, बहरुपिए भी पर्यटकों को लुभा रहे थे। बॉक्स
डीसी ने किया निरीक्षण सोमवार को शिल्प मेले की रौनक को बढ़ाने का काम विभिन्न स्कूलों से आए हजारों विद्यार्थियों ने किया। डीसी डॉ. एसएस फुलिया ने महोत्सव के शिल्प और सरस मेले का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को जांचा तथा 13 दिसंबर के कार्यक्रमों की तैयारियों का जायजा भी लिया। उन्होंने कहा कि शिल्प और सरस मेला पर्यटकों को लुभा रहा है और गुजरात और हरियाणा के पवेलियन भी पर्यटकों अपनी तरफ आकर्षित कर रहे है। इस दौरान डीसी ने 13 दिसंबर को पुरोषतमपुरा बाग में गीता पूजन, हवन यज्ञ कार्यक्रम, हरियाणा व गुजरात पवेलियन में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। इस मौके पर केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, सीईओ केडीबी संयम गर्ग, डीआइपीआरओ सुरेश कंवर, एक्सईएन जेपी काम्बोज मौजूद थे। बॉक्स
विभिन्न राज्यों की संस्कृति बनी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
ब्रह्मासरोवर का तट विभिन्न राज्यों की संस्कृति को अपने आगोश में समेट रहा है। इस तट पर विभिन्न राज्यों की संस्कृति पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस तट पर भारत के विभिन्न राज्यों की संस्कृति को एक साथ देखने का मौका मिल रहा है। शिल्प मेले के चौथे दिन चारों तरफ शिल्पकला की छोटी-छोटी दुकानों पर पर्यटक खरीदारी कर रहे है।