हरियाणा में सिख गुरुओं का पहला भव्य संग्रहालय कुरुक्षेत्र में बनाया जाएगा
गीता की स्थली होने के साथ कुरुक्षेत्र को एक और गौरव हासिल है। यहां सिखों के दस में आठ गुरु आए और उनकी पातशाही से यहां गुरुद्वारे बनाए गए। अब इन गुरुओं की कुरुक्षेत्र भ्रमण की स्मृतियों को सहेजने के लिए संग्रहालय बनने जा रहा है। धर्मनगरी में पांच और जिले में 18 ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: गीता की स्थली होने के साथ कुरुक्षेत्र को एक और गौरव हासिल है। यहां सिखों के दस में आठ गुरु आए और उनकी पातशाही से यहां गुरुद्वारे बनाए गए। अब इन गुरुओं की कुरुक्षेत्र भ्रमण की स्मृतियों को सहेजने के लिए संग्रहालय बनने जा रहा है। धर्मनगरी में पांच और जिले में 18 ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। इस पवित्र भूमि की महत्ता को देखते हुए राज्य सरकार ने सिख गुरुओं का संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संग्रहालय बनाने के लिए बाकायदा घोषणा भी की है।
इस प्रोजेक्ट को लेकर विधायक सुभाष सुधा शनिवार को थानेसर मार्केट कमेटी कार्यालय में अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने बताया कि इस संग्रहालय में सिख गुरूओं के सारे इतिहास, ऐतिहासिक फोटो, कुरुक्षेत्र की धरा पर पहुंचने वाले आठ पातशाहियों के इतिहास, गुरू साहिबान के अस्त्र-शस्त्र के साथ-साथ तमाम ऐतिहासिक वस्तुओं को संजोकर रखा जाएगा। यह संग्रहालय युवा पीढ़ी को प्रेरणा भी देगा और देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए यह संग्रहालय एक धरोहर का काम भी करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस संग्रहालय के लिए करोड़ों रुपये का बजट भी तय किया है। इस संग्रहालय के निर्माण के लिए एक एकड़ से ज्यादा भूमि की आवश्यकता है, हालांकि किरमिच रोड पर पहली पातशाही गुरुद्वारा साहिब के समक्ष शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर की जमीन को लेकर एसजीपीसी के पदाधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है। इस जमीन के लिए एसजीपीसी से हरी झंडी मिलते ही संग्रहालय बनाने का काम तेज गति के साथ शुरू कर दिया जाएगा। इस संग्रहालय के निर्माण के बाद कुरुक्षेत्र में सिख श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा और ब्रह्मासरोवर के निकट स्थित होने के कारण सूर्यग्रहण और अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव जैसे भव्य कार्यक्रमों के दौरान लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस संग्रहालय को देख सकेंगे। कौन-कौन से गुरू साहिबान ने कुरुक्षेत्र पर रखें अपने चरण
कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर पहली पातशाही गुरुनानक देव, तीसरी पातशाही गुरु अमरदास, चौथी पातशाही गुरु रामदास (गुरु रामदास और गुरु अमर दास के साथ बतौर गुर सिख के रूप में कुरुक्षेत्र पहुंचे थे), छठी पातशाही गुरु हर गोबिद साहिब, सातवीं पातशाही गुरु हरिराय साहिब, आठवीं पातशाही गुरू हरिकृष्ण साहिब, नौवीं पातशाही गुरु तेगबहादुर और दसवीं पातशाही गुरु गोबिद सिंह पर आए हैं।