पार्क से हुई उत्थान उत्सव की शुरुआत, कलाकारों ने दिखाई प्रतिभा
नाट्य दल न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप ने अपनी 10वी वर्षगांठ मनाई। इसके लिए तीन दिवसीय उत्थान उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसका आगाज फिल्म अभिनेता मानव कौल द्वारा लिखित व यूटीजी के सांस्कृतिक प्रभारी विकास शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक पार्क से हुआ।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : नाट्य दल न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप ने अपनी 10वी वर्षगांठ मनाई। इसके लिए तीन दिवसीय उत्थान उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसका आगाज फिल्म अभिनेता मानव कौल द्वारा लिखित व यूटीजी के सांस्कृतिक प्रभारी विकास शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक पार्क से हुआ। नाटक से पूर्व रंग संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सिद्धार्थ, हर्ष व अमन ने गायकी से अपनी प्रतिभा को दिखाया। इसके पश्चात नाटक पार्क का मंचन दर्शकों ने देखा। इस मौके पर विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ.रामेंद्र सिंह बतौर मुख्यातिथि पहुंचे।
मानव कौल की लेखनी से सजे नाटक पार्क ने विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालने का कार्य किया। वहीं विकास शर्मा के निर्देशन में नाटक को खूबसूरत बनाने में सहयोग दिया। नाटक पार्क तीन अनजान लोगों की बातचीत पर आधारित रहा। नाटक में उदय एक ऐसी बीमारी से ग्रस्त है, जिसमें वह स्वयं को जीनियस समझता है। वहीं मदन एक अध्यापक है, जो बच्चों की दृष्टि में एक विलेन के रुप में हैं। पार्क में आना और अपने विद्यालय की गणित की अध्यापिका को देखना उसे स्वयं को नायक के रुप में दर्शाता है। तीसरा किरदार नवाज का है जो अपने बेटे को जैसे तैसे करके पांचवीं कक्षा में पास करवाना चाहता है, जबकि उसका बेटा हुसैन एक स्पेशल चाइल्ड है। तीनों किरदार एक ही समय में एक पार्क में आ जाते हैं और एक बेंच के लिए झगड़ते रहते हैं। जिस बेंच पर उदय बैठा होता है उसी बेंच पर मदन बैठना चाहता है। जब उदय मदन से वहां बैठने का कारण पूछता है तो मदन बताता है कि सामने की बिल्डिंग में उसके स्कूल की गणित की अध्यापिका रहती है, जिसे देखना उसे बहुत अच्छा लगता है। जब नवाज इस बात का विरोध करता है तो मदन समझाता है कि टीचर केवल टीचर नहीं होता, वह भी आम इंसान है, जिसे औरों की तरह जीने का हक है। वहीं नवाज पार्क में अपने बेटे के रिजल्ट का इंतजार कर रहा है। जबकि उसका बेटा बाप व टीचर के प्रेशर के कारण पढ़ ही नहीं पाता और फेल हो जाता है। उदय नवाज को समझाता है कि अपने बच्चों पर अपनी इच्छा थोपनी नहीं चाहिए। उधर उदय भी मानसिक रुप से परेशान दिखता है। जब उससे इसका कारण जाना जाता है तो वह बताता है कि बचपन में उसने हिदू मुस्लिम के दंगे देखे थे, जिसने उसके मन पर बहुत गहरा असर डाला है। इस प्रकार उनकी बातचीत में बहुत गंभीर मुद्दे आ जाते हैं, जिनका हल आमजनमानस के पास होना असम्भव सा प्रतीत होता है। नाटक में उदय का किरदार गौरव दीपक जांगड़ा, मदन नितिन गुप्ता, नवाज चंचल शर्मा तथा हुसैन की भूमिका पार्थ शर्मा ने निभाई। संगीत संचालन साजन कालड़ा, प्रकाश व्यवस्था मनीष डोगरा ने की। सहयोगी के रुप में कुलदीप शर्मा, अनूप कुमार, संदेश खन्ना व अमरदीप रहे।