पराली जलाने का अभियान केवल कागजों तक सिमटा
सरकार के तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद किसान फसलों के अवशेष को आग के हवाले कर रहे हैं। फसलों के अवशेष जलने से जहां पर्यावरण दूषित हो रहा है, वहीं लोगों में बीमारियां बढ़ने का खतरा भी पैदा हो गया है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सरकार के तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद किसान फसलों के अवशेष को आग के हवाले कर रहे हैं। फसलों के अवशेष जलने से जहां पर्यावरण दूषित हो रहा है, वहीं लोगों में बीमारियां बढ़ने का खतरा भी पैदा हो गया है। विशेषकर अवशेष से निकलने वाले ज्वलनशील पदार्थो का लोगों की आंखों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। शाम होते ही जिले के हर क्षेत्र में किसानों द्वारा फसलों के अवशेष जलाने के बाद वातावरण धुंए के अंबार में परिवर्तित हो जाता है।
कृषि विभाग व जिला प्रशासन ने पिछले दिनों जागरूकता अभियान चलाकर किसानों को फसलों के अवशेष न जलाने के प्रति प्रेरित किया था। मंगलवार को लुखी क्षेत्र के कई किसानों ने पराली के अवशेषों को आग के हवाले कर दिया। देखते ही देखते सारे क्षेत्र में धुएं के गुब्बार बन गए। जिससे वातावरण दूषित हो गया। वहीं ये धुआं जब शहर की ओर आया तो उससे शहर की आबोहवा भी खराब हो गई। धुएं के साथ निकल रहे ज्वलनशील पदार्थ से लोगों की आंखें जलनी शुरू हो गई। कई लोगों ने बताया कि पिछले तीन दिन से सांय होते ही शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में पराली के अवशेष जलाने से पर्यावरण काफी खराब हो चुका है। लोगों का कहना है कि प्रशासन व कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा चलाया गया अभियान केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गया है। अधिकारी सिर्फ कार्यालयों में बैठकर ही योजना को अंजाम देने के दावे कर रहे हैं, लेकिन वे कार्यालय से बाहर निकलकर अवशेष जलाने वाले किसानों के प्रति कोई कार्रवाई नहीं कर रहे, जिसके चलते किसान बेपरवाह होकर फसलों के अवशेषों को जलाने में अधिकारियों से कहीं आगे हैं। कई लोगों ने बताया कि सड़कों पर चलते समय पराली के अवशेष जलाने से धुआं निकलने से चलना मुश्किल हो रहा है।