सहारनपुर की तोप और कुल्लू की पश्मीना शॉल की दीवानगी
सहारनपुर की लकड़ी से बने सामान की पहचान पूरे देश में है। सहारनपुर में बने लकड़ी के सामान की बिक्री हाथों-हाथ हो जाती है। इस महोत्सव में शिल्पी मोहम्मद इमरान लकड़ी व पीतल से बनी 30 इंच की तोप भी तैयार करके लाए हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सहारनपुर की लकड़ी से बने सामान की पहचान पूरे देश में है। सहारनपुर में बने लकड़ी के सामान की बिक्री हाथों-हाथ हो जाती है। इस महोत्सव में शिल्पी मोहम्मद इमरान लकड़ी व पीतल से बनी 30 इंच की तोप भी तैयार करके लाए हैं। इस तोप की कीमत पांच हजार रुपए रखी गई है। मोहमद इमरान ने कहा कि वह पिछले 16 सालों से महोत्सव में आ रहे हैं और उनके फर्नीचर को कुरुक्षेत्र महोत्सव में काफी पंसद किया जाता है।
इस बार पर्यटकों के लिए आसाम की पापड़ी, लकड़ी का चार फीट का फ्लावर पॉट भी लेकर आए हैं, जिसकी कीमत 5500 रुपये रखी गई है। इस पॉट को तैयार करने में तीन दिन का समय लगता है। इस महोत्सव में लकड़ी का सामान 300 रुपये से लेकर 60 हजार रुपये तक का लेकर आए हैं। 300 रुपये में बैठने का पीढा और सोफा सेट की कीमत 60 हजार रुपये तय की गई है। इसके अलावा पर्यटकों के लिए आकर्षक झूला, लकड़ी का डाइनिग टेबल, लकड़ी के खिलौने व अन्य समान लेकर आए हैं। मिट्टी के तवे पर बनी रोटी से बढ़ेगा स्वाद
महोत्सव में मिट्टी के तवे को लोग खूब पंसद कर रहे हैं। इस तवे पर बनने वाली रोटी लोगों के स्वाद को दोगुना कर देगी। इतना ही नहीं इस तवे पर बनने वाली रोटी लोगों के स्वास्थ्य का भी पूरा खयाल रखेगी। महोत्सव में अंबाला से आए शिल्पकार धर्मेंद्र का कहना है कि वह इस महोत्सव में पिछले तीन सालों से मिट्टी के तवे और अन्य समान लेकर आ रहे हैं। मिट्टी के बर्तनों में दाल, चावल, साग, दलिया, खीर बनाई जा सकती है व दूध गर्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे शरीर को प्रतिदिन 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और ये सभी तत्व मिट्टी में पाए जाते हैं। मिट्टी में कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर, आयरन, सिलिकॉन, कोबाल्ट, जिप्सम इत्यादि पोषक तत्व मिलते हैं। मिट्टी के इन्ही गुणों और पवित्रता के कारण भारत वर्ष के कईं प्रसिद्ध मंदिरों में आज भी मिट्टी के बर्तनों में ही प्रसाद एवं भोजन बनाया जाता है। पुरी के प्रसिद्ध मंदिर की रसोई में मिट्टी के बर्तनों में भोजन एवं भंडारा पकाया जाता है। मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल से गैस, एसिडिटी, जोड़ों का दर्द, मोटापा आदि बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। इस तवे की कीमत 100 रुपये रखी गई है, काले रंग के तवे की कीमत 250 रुपये रखी गई है।
180 ग्राम के पश्मीना शॉल को निकाला आधे इंच के घेरे की अंगूठी से
कुरुक्षेत्र : कुल्लू के शिल्पकारों की 180 ग्राम वजन वाली शॉल महज आधे इंच की अंगूठी से आर-पार हो जाती है। इसे देखने के लिए स्टाल पर पर्यटकों की भीड़ लग रही है। शिल्पकार हीरा लाल की इस पश्मीना शॉल के अतिरिक्त किन्नौरी और अंगूरी शॉल भी खूब लुभा रही है। महोत्सव में कुल्लू के बने हुए शॉलों के 300 से ज्यादा पक्के ग्राहक बन चुके हैं। कुल्लू की इस शिल्पकला को पर्यटकों के समक्ष रखने के लिए शिल्पकार हीरालाल के साथ-साथ अन्य लोग सचिन व संजू भी कुरुक्षेत्र पहुंचे हैं। कुल्लु निवासी हीरा लाल ने बताया कि पश्मीना शॉल का कम से कम वजन 120 ग्राम का हो सकता है। इसकी कीमत डेढ़ लाख रुपये से भी ज्यादा है। इस क्राफ्ट मेले में इस बार पश्मीना की 15 हजार रुपये से 35 हजार रुपये तक की शॉल और लोई खास आर्डर पर लेकर आए हैं। पिछले 18 सालों से कुरुक्षेत्र उत्सव गीता महोत्सव में कुल्लू शॉल, जैकेट लेकर आ रहे हैं। इस बार महिलाओं के लिए अंगूरी स्वेटर और लोंग कोट लेकर आए हैं। किनौरी शॉल को बनाने के लिए 45 दिन का समय लगता है और पश्मीना शॉल को 10-12 दिनों में तैयार कर लिया जाता है।