ये इबादत संभाल कर रखना, लोग नफरत संभाल कर बैठे हैं
दिल में उलफत संभाल कर रखना ये इबादत संभाल कर रखना लोग नफरत संभाल कर बैठे हैं तुम मोहब्बत संभाल कर रखना। हमेशा तन गए आगे जो तोपों के दहानों के कोई कीमत नहीं होती है प्राणों की जवानों के बड़े लोगों की औलादें तो कैंडल मार्च करती है जो अपने प्राण देते हैं वो बेटे हैं किसानों के।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : दिल में उलफत संभाल कर रखना, ये इबादत संभाल कर रखना, लोग नफरत संभाल कर बैठे हैं, तुम मोहब्बत संभाल कर रखना। हमेशा तन गए आगे जो तोपों के दहानों के, कोई कीमत नहीं होती है प्राणों की जवानों के, बड़े लोगों की औलादें तो कैंडल मार्च करती है, जो अपने प्राण देते हैं वो बेटे हैं किसानों के। फरीदाबाद से आए कवि दिनेश रघुवंशी ने शहीदों को नमन करते हुए जब यह पंक्तियां पढ़ी तो कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का आरके सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मौका रहा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालयय के आरके सदन में हरियाणा शहीदी दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के कवि सम्मेलन का। कवियों ने शहीदों को याद करते हुए एक से बढ़कर एक रचनाएं पढ़ी। उनकी रचनाएं सुनकर सदन में बैठे हर श्रोता ने राष्ट्र को नमन करते हुए शहीदों को याद किया।
कुलपति ने किया शुभारंभ
कवि सम्मेलन का शुभारंभ कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने किया। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए हरियाणा के शहीदों ने भी कुर्बानियां दी और देश का आजाद करवाने में अपना योगदान दिया। हरियाणा में राव तुलाराम, चौ. उधमी राम, झज्जर के नवाब अब्दुर्रहमान, हांसी के लाला हुक्मचंद, अबदुशमद खान, मोहम्मद आजिम बेग, राव किशन सिंह, राव रामलाल, रामू जाट, सदरूदीन मेवाती, नवाब शमद खान सिरसा, राव गोपालदेव, इमाम कलंदरी व बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह सरीखे शहीदों के बलिदान को किसी भी सूरत में भुलाया नहीं जा सकता। आज का यह राष्ट्रीय कवि सम्मेलन हरियाणा के उन्हीं शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया है। कार्यक्रम का संचालन युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डा. महासिंह पूनिया ने किया।
सम्मेलन में ये रहे मौजूद
इस अवसर पर कुलसचिव डा. संजीव शर्मा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कुटा) प्रधान डा. परमेश कुमार, डा. ममता सचदेवा, कुटा सचिव डा. विवेक गौड़, लोक संपर्क विभाग के उपनिदेशक डा. दीपक राय बब्बर, डा. गुरुचरण व डा. जसविन्द्र मौजूद रहे।
किस कवि ने क्या कहा
फरीदाबाद से पहुंचे कवि दिनेश रघुवंशी ने हमेशा शहीदों को याद रखने की बात कही। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि अरूण जेमिनी ने कोरोना काल के बाद पहला निमंत्रण मिला, निमंत्रण से मेरा रोम-रोम खुशी से खिला, दिल हो रहा था बेकाबू, महीनों बाद एक चुटकी कवि सम्मेलन मिलने की खुशी तुम क्या जानो दिनेश बाबू।। रचना पढ़कर श्रोताओं को लोटपोट किया।
प्रीति अग्रवाल ने कहा कि आग तन में लगाने चली आई हूं, रोशनी जगमगाने चली आई हूं, रोज सैनिक मरें, देश सोता रहे, पत्थरों को जगाने चली आई हूं।
डा. महेंद्र शर्मा ने कहा कि देश की खातिर सीमाओं पर जो जान गंवाते हैं, उनकी कुर्बानी को हम सब शीश नवाते हैं कविता पढ़ी।