स्विट्जरलैंड के विशेषज्ञ ने किया गांव पिडारसी के खेतों का दौरा
स्विटजरलैंड से आए कृषि विशेषज्ञ ने बुधवार को गांव पिडारसी में पहुंच टपका सिचाई विधि से तैयार आलू की फसल का मुआयना किया।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : स्विटजरलैंड से आए कृषि विशेषज्ञ ने बुधवार को गांव पिडारसी में पहुंच टपका सिचाई विधि से तैयार आलू की फसल का मुआयना किया। स्विट्जरलैंड से मारस फूड के अधिकारी डॉ. राउडी लुथी अपनी टीम के साथ प्रगतिशील किसान जोगिद्र के खेत में पहुंचे। जोगिद्र ने बताया कि आलू उन्होंने धान कटाई के बाद खेत में आलू की फसल लगा रखी हैं। उसने इस बार धान की पैदावार टपका सिचाई से ही की थी। परंपरागत खेती की बजाय टपका सिचाई के माध्यम से पानी की 60 फीसद तक बचत हुई है। इतना ही नहीं पैदावार भी अन्य खेतों के मुकाबले अच्छी रही है। उन्होंने प्राथमिक स्तर पर एक एकड़ में इस योजना को लागू किया है। डॉ. लुथी के साथ पहुंचे उत्तराखंड के पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त कृषि विशेषज्ञ डॉ. अशोक भारद्वाज ने बताया कि डॉ. लुथी भारत में अपनाई जा रही कृषि पद्धति का अवलोकन करने के लिए पहुंचे हैं। वह खासतौर पर पानी की बचत से तैयार की जा रही धान और इसमें डाले जाने वाले कीटनाशक और अन्य खाद की जानकारी ले रहे हैं। डॉ. अशोक ने बताया कि स्विस डेवलपमेंट काउंसिल की ओर से भारतीय कंपनी और स्विस कंपनी मिलकर इस सिचाई योजना पर काम कर रहे हैं। इसी योजना के तहत जैन इरिगेशन की ओर से प्रदेश में ही चार जगहों पर प्रदर्शनी प्लांट लगाए गए हैं। डॉ. राउडी को प्रगतिशील किसान जोगेंद्र ने जानकारी दी है कि टपका सिचाई और फानों को खेत में दबाने से उसके खेत में आलू का जमाव अन्य खेतों के मुकाबले छह दिन पहले ही हो गया था। इस मौके पर उनके साथ ग्राउंड वाटर कमीशन के पूर्व सदस्य डॉ. दीपांकर शाह, एलटी फूड की अनुवा, प्रवीण वर्मा, विक्रम और ग्रामीण अजायब सिंह सैनी, गोपी राम, ललित कुमार नंबरदार, गंगा राम मौजूद रहे।