स्वामी विवेकानंद का दर्शन से मानव का कल्याण : डा. श्रीप्रकाश मिश्र
जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र स्वामी विवेकानंद तेजस्वी युवा क्रांतिकारी संयासी थे। वे न केवल ज्ञा
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : स्वामी विवेकानंद तेजस्वी युवा क्रांतिकारी संयासी थे। वे न केवल ज्ञान के अथाह भंडार, बल्कि महान देशभक्त भी थे। देश को ही अपनी मां समझा था और इसी के उत्थान के लिए जीवनभर एक परिव्राजक के रूप में प्रयत्नशील रहे। वे युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श महापुरुष हैं।
यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कही। उन्होंने ये बात सोमवार को राजकीय महाविद्यालय सेक्टर-1 पंचकूला के स्वामी विवेकानंद जयंती की पूर्व संध्या पर भारतीय युवा पीढ़ी के सर्वांगीण विकास में स्वामी विवेकानंद का ²ष्टि कोण विषय पर वेबिनार में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। वेबिनार की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्रधानाचार्या डा. अर्चना मिश्रा ने किया।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने की सर्वोत्तम विधि एकाग्रता है। वे कहा करते थे कि जितनी अधिक एकाग्रता होगी उतना ही अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। उनका कहना था कि एकाग्रता के बल पर जूता पॉलिश करने वाला भी बेहतर ढंग से जूता पॉलिश कर सकेगा व रसोइया भी अधिक अच्छा भोजन बना सकेगा। एकाग्रता तभी आ सकती है जब मनुष्य में अनासक्ति हो। स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि तथ्यों का संग्रह शिक्षा नहीं है।
डा. मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद शिक्षा को प्रत्येक बालक-बालिका का जन्म सिद्ध अधिकार मानते थे। खोये हुए सांस्कृतिक एवं भौतिक वैभव को फिर से प्राप्त करने के लिए जनसाधारण की शिक्षा को आवश्यक बताते थे। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के जीवन, संदेशों व उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर ही भारत के युवा पीढ़ी का सर्वांगीण विकास हो सकता है और भारत विश्व का एक सर्व संपन्न राष्ट्र बन सकता है।