स्वामी विवेकानंद क्रांतिकारी, वीर योद्धा सन्यासी थे : कृष्ण बेदी
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी तब उम्मीद की एक किरण लेकर अ
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र
स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी तब उम्मीद की एक किरण लेकर आई जब भारत पराधीन था और भारत के लोग अंग्रेजों के जुल्म सह रहे थे। हर तरफ सिर्फ दुख और निराशा के बादल छाए हुए थे। उन्होंने भारत के सोये हुए समाज को जगाया उनमें नई ऊर्जा उमंग का प्रसार किया। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन कुरुक्षेत्र द्वारा स्वामी विवेकानंद जयंती और मातृभूमि सेवा मिशन के 15वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी में राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।
उन्होंने कहा मातृभूमि सेवा मिशन यथार्थ रूप से विवेकानन्द के जीवन को आत्मसात कर समाज सेवा का कार्य कर रहा है। स्वामी विवेकानंद क्रांतिकारी, वीर योद्धा सन्यासी थे। कार्यक्रम का शुभांरभ दीप प्रज्वलन, भारतमाता और स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्जन से हुआ। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता हरियाणा पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. आरसी मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को युवा पीढ़ी से बहुत उम्मीदें थी। उन्होंने युवा पीढ़ी को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बहुत ही ओजस्वी विचार दिए। उनका मानना था कि भारत हर प्रकार से तभी समृद्ध बन सकता है जब भारत के नौजवान एकाग्र होकर मातृभूमि के प्रति समर्पित हो जाएं। पूरे विर्श्व में स्वामी विवेकानन्द को उनके विचारों और जीवन आदर्शो के कारण जाना जाता है। नवीन भारत का निर्माण वर्तमान युवा पीढ़ी की दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्म बल से ही संभव हो सकता है। मिशन के संयोजक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने आए अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी को स्वास्थ मंत्री अनिल विज के भाई राजेंद्र विज, समाजिक कार्यकर्ता डॉ. स्वास्तिक शर्मा, मदन गोपाल शर्मा, डॉ. संतोष दहिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।