जीवन की सफलता शांति में निहित : स्वामी दिव्यानंद
जागरण संवाददाता, पानीपत : स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि हमें केवल अपने उद्देश्य में ही सफल नहीं होना चाहिए। अपितु जीवन में भी सफल होना है। पिछले कुछ वर्षों में समय बहुत तेजी से बदला है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि हमें केवल अपने उद्देश्य में ही सफल नहीं होना चाहिए। अपितु जीवन में भी सफल होना है। पिछले कुछ वर्षों में समय बहुत तेजी से बदला है। हमारे बच्चों में आधुनिक शिक्षा में पाश्चात्य मिश्रण के कारण एक अलग ही ढंग से बदलाव आया है। इस परिवर्तन को हम समझने में भूल गए तो उद्देश्य में सफल होंगे या नहीं. ¨कतु यह पक्की बात है कि जीवन में तो असफल ही रहेंगे। स्वामी दिव्यानंद सनातन धर्म महावीर दल के तत्वावधान में सोमवार को आयोजित हनुमान मंदिर वार्ड 9 के 50 वें वार्षिक उत्सव में प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जीवन की सफलता परम आनंद, मन की शांति और उद्देश्य की प्राप्ति में है। बाहर से किसी को देखने पर यह निर्णय नहीं हो पाएगा क्योंकि आज का भौतिकवादी मनुष्य मुखौटे पहन कर अभिनय करने में बड़ा कुशल हो गया है। इसलिए भीतर से कौन क्या है यह जल्दी समझ में आने वाला नहीं है। श्री हनुमान जी जैसे व्यक्तित्व, व्यवहार और अध्यात्म का, बाहर और भीतर का समीकरण बैठाने में इतने कुशल हैं कि उन्होंने सुग्रीव को किष्किंधा राज्य भी प्राप्त करा दिया। प्रभु श्रीराम से भी मिलवा दिया। सुविधाएं मिली तनाव बढ़ा
विज्ञान और टेक्नोलॉजी ने बड़ी-बड़ी सुविधाएं प्रदान की है। होना तो यह चाहिए था कि आदमी के पास अब समय बचना चाहिए था, क्योंकि जो काम पहले महीनों में होते थे वे अब घंटों में होने लगे। ¨कतु हुआ विपरीत। जब से सुविधाएं मिली व्यक्ति के पास समय कम और तनाव अधिक हो गया। अधिक से अधिक पाने की इच्छा ज्यादा से ज्यादा होने लगी है। धैर्य बिल्कुल टूटने लगा। यह इच्छापूर्ति भी जल्द से जल्द हो जाए ऐसा मन लोगों का बन गया है। ऐसा ही हुआ तो आदमी को यह जीवन बोझ लगने लग जाएगा।
ये ऐसी विचित्र समस्याएं है जिनका संबंध बाहर के मैनेजमेंट कोर्स में नहीं हनुमान जी के जीवन में मिलेगा। ज्योत प्रज्वलन विधायक रोहिता रेवड़ी ने किया।
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ये रहे मौजूद
इस अवसर पर सनातन धर्म संगठन के प्रधान सूरज पहलवान हरभगवान नारंग, कैलाश नारंग, जवाहर डुडेजा, जगदीश बांगा, अशोक जुनेजा राम लाल जुनेजा, हेमंत लखीना, कश्मीरी लाल जुनेजा, तुलसी दास वधवा, वेद सेठी, तरूण छोक्करा, टाहला राम और रामदेव मौजूद थे।