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परीक्षाओं के विरोध में उतरे छात्र संगठनों की प्रदेश सरकार के कदम पर नजर

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की ओर से अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा लिए जाने को लेकर अपने फैसले पर अड़े होने से विद्यार्थियों के सामने असंमजस की स्थिति बनी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 08:00 AM (IST)
परीक्षाओं के विरोध में उतरे छात्र संगठनों की प्रदेश सरकार के कदम पर नजर
परीक्षाओं के विरोध में उतरे छात्र संगठनों की प्रदेश सरकार के कदम पर नजर

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

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यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की ओर से अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा लिए जाने को लेकर अपने फैसले पर अड़े होने से विद्यार्थियों के सामने असंमजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि इस पत्र के जारी होने के बाद अभी तक प्रदेश सरकार ने अपने परीक्षा ना लिए जाने के फैसले को बदला नहीं है। इसके बावजूद छात्र संगठनों ने सरकार के रुख पर नजरें जमा रखी हैं। अब अगली रणनीति के तहत वह अपने संघर्ष को और कड़ा करने की योजना तैयार कर रहे हैं। कुवि पहले ही सरकार की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार काम करने की बात कह चुकी है।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था। इस लॉकडाउन से सभी शिक्षण संस्थान भी बंद कर दिए गए थे। ऐसे में विद्यार्थियों का सिलेबस पूरा नहीं हो पाया। इसके बाद हालातों को देखते हुए प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को बगैर परीक्षा के लिए प्रमोट करने का फैसला लिया गया। हालात सामान्य ना होने पर प्रदेश भर में छात्र संगठनों ने प्रदर्शन कर अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को भी बगैर परीक्षा प्रमोट करने की मांग की। इसको देखते हुए उच्चत्तर शिक्षा निदेशालय की ओर से अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को भी बगैर परीक्षा लिए प्रमोट करने का फैसला लिया गया। प्रदेश में कुलपतियों की कमेटी ने भी परीक्षा ना लिए जाने का ही सुझाव दिया था। अब यूजीसी की ओर से अंतिम वर्ष की परीक्षा लिए जाने का पत्र जारी होने के बाद से छात्र संगठनों में हलचल मच गई है।

---आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं छात्र संगठन

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (कुसा) के अध्यक्ष विकास बलाही ने कहा कि इन हालातों में विद्यार्थियों की सुरक्षा सबसे पहले है। परीक्षाओं के विरोध में पहले भी उन्होंने ज्ञापन सौंपे हैं। अगर दोबारा परीक्षा लिए जाने को लेकर कोई फैसला लिया गया तो इसके विरोध को सभी छात्र संगठनों को एकजुट कर संघर्ष की रणनीति तैयार की जाएगी।

एनएसयूआई की कुवि इकाई के चेयरमैन शुभम एबला ने कहा कि एनएसयूआई पहले ही यह बात साफ कर चुकी है कि अगर परीक्षा लिए जाने का प्रयास किया गया तो सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ी जाएगी।

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के कुवि सचिव मोहित ने कहा कि इस मामले को लेकर उन्होंने रविवार की शाम को ही प्रदेश स्तरीय ऑनलाइन बैठक बुलाई है। इस बैठक में छात्र विरोधी फैसला लिए जाने पर आंदोलन की रणनीति पर विचार किया जाएगा।

डीएएसएफआइ के अध्यक्ष पिटू सिगला ने कहा कि उनकी सरकार के फैसले पर नजर है। अगर सरकार ने छात्र विरोधी फैसला लिया तो वह इसके विरोध में आंदोलन करेंगे।


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