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इसे कहते हैं सच्ची गुरु दक्षिणा, मुसीबत आई तो एेसे निकाला परिवार को भंवर से बाहर

गुरु जी के परिवार पर मुसीबत आई है तो उनके कई शिष्य परिवार की मदद के लिए आगे आ गए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 09:44 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 08:47 AM (IST)
इसे कहते हैं सच्ची गुरु दक्षिणा, मुसीबत आई तो एेसे निकाला परिवार को भंवर से बाहर
इसे कहते हैं सच्ची गुरु दक्षिणा, मुसीबत आई तो एेसे निकाला परिवार को भंवर से बाहर

कुरुक्षेत्र [विनोद चौधरी]। सच्ची गुरुदक्षिणा यही है। गुरु ने जीवन मूल्य दिए। संस्कार दिए। शिष्यों ने सफलता की ऊंचाइयों को स्पर्श किया, और जब उन्हें पता चला कि गुरु जी के परिवार पर मुसीबत आई है तो वे परिवार की मदद के लिए आगे आ गए। चार दिन पहले जिस मानसिक दिव्यांग महिला, उसके 11 वर्षीय बेटे और सात वर्षीय बेटी को पड़ोसी भोजन दे रहे थे, आज उनके मुंह में निवाला डालने के लिए श्रीमद्भागवत गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के पूर्व छात्रों की पूरी टीम खड़ी हो गई है।

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होली के दिन अपने गुरु के घर की हालात देख मदद के लिए आगे आए पूर्व छात्रों ने उनके लिए लाखों रुपये जुटा लिए हैं। केवल इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर अपने गुरु के परिवार की माली हालत की जानकारी मिलते ही गुजर-बसर के लिए स्थायी बंदोबस्त करने की योजना तैयार कर ली।

उनके गुरु स्वर्गीय कुलभूषण कालड़ा सत्तर के दशक में एसएमबी गीता स्कूल में सामाजिक पढ़ाते थे। उन दिनों में स्कूल के विद्यार्थियों को सामाजिक कार्यों से जोडऩे के लिए गांवों में भी भेजा जाता था। हर साल स्कूली बच्चों से समर्पण राशि भी एकत्र करवाई जाती। इस राशि से आदिवासी क्षेत्रों में चलने वाले एकल विद्यालयों में गरीब बच्चों की पढ़ाई का बंदोबस्त किया जाता। ऐसा छात्रों में एक-दूसरे की मदद की भावना जागृत करने के लिए किया जाता। कुलभूषण कालड़ा की मौत के बाद उनके घर में एक मानसिक दिव्यांग बेटी, सातवीं में पढ़ने वाला एक नाती और तीसरी कक्षा में पढ़ रही एक नातिन अनाथ हो गए थे।

गुरु के घर की हालत देख रो उठा मन

होली के दिन उनके घर पहुंचे पूर्व छात्र राकेश मेहता, संजय चौधरी, डॉ. पंकज शर्मा ने घर की हालत देखकर उसी समय मदद का फैसला लिया। एसएमबी गीता स्कूल के मैनेजर अशोक रोशा ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई लिए, उन्होंने गीता सह शिक्षा स्कूल में व्यवस्था कर दी गई है।

संजय चौधरी ने कहा कि उस बैच में स्कूल से पढ़कर निकले आइएएस, आईपीएस, इंजीनियर और उद्योगपति मदद के लिए आगे आए हैं। अपने गुरु के परिवार के लिए सभी ने एकजुट होकर सहयोग का आश्वासन दिया है। इस परिवार की रोजी-रोटी का स्थायी बंदोबस्त करने के लिए उन्होंने घर के बाहर एक दुकान का निर्माण करने का फैसला लिया है, ताकि उसके किराये से परिवार को आय हो सके। इसके अलावा दोनों बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च भी पूर्व छात्र ही उठाएंगे।

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