कई परिवारों की पीढि़यों का इतिहास संजोए है श्रीरामा ड्रामाटिक क्लब
श्रीरामा ड्रामाटिक क्लब में रामलीला मंचन ही नहीं होता बल्कि हर साल एक नए कलाकार को तैयार भी किया जाता है। नए कलाकारों की प्रतिभा मुखरित होने के साथ ही उन्हें देखने वालों की ललक अलग ही हो जाती है। यहां रामलीला मंचन कई परिवारों की तो पीढि़यों का इतिहास संजोए हुए है।
संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद : श्रीरामा ड्रामाटिक क्लब में रामलीला मंचन ही नहीं होता, बल्कि हर साल एक नए कलाकार को तैयार भी किया जाता है। नए कलाकारों की प्रतिभा मुखरित होने के साथ ही उन्हें देखने वालों की ललक अलग ही हो जाती है। यहां रामलीला मंचन कई परिवारों की तो पीढि़यों का इतिहास संजोए हुए है। रामलीला के प्रति श्रद्धालुओं की इस कदर आस्था है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र के चरणों में आज भी मन्नत मांगी जाती है। एक साल के भीतर मन्नत पूरी होने पर मिठाइयां तक बंटती हैं। रामलीला मंचन से नशे से दूर रहने की अपील भी कारगर भूमिका निभाती आ रही हैं। यहां तक कि रामलीला मंचन के दौरान बीड़ी तक सुलगाने की कोई हिम्मत नहीं करता है। रामलीला के मंच से बेटियों को बचाने व पढ़ाने की अपील भी खूब पसंद की जा रही है।
इतिहास : कस्बे में रामलीला मंचन का ताना बाना 1952 से बुना गया। इसका नियमानुसार मंचन 1955 से आरंभ हुआ। रामलीला से जुड़े वैद्य दया राम शर्मा, डॉ. भारद्वाज, पुरुषोत्तम सिगला, लाला राम, किशनदास सिगला, मंगत राम शर्मा को आज भी मंचन के प्रति कृतज्ञता की मिसाल के रूप में याद किया जाता है।