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सामाजिक समरसता भारतीय संस्कृति का मौलिक ¨चतन : डॉ. आरसी मिश्रा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: हरियाणा पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. आरसी मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी ने समरसता को सामाजिक एकता का मूल मंत्र बनाया। इसी का नतीजा था कि समाज का हर वर्ग स्वतंत्रता संग्राम में एकजुट होकर लड़ा। गांधी ने लघु उद्योग के जरिए ग्रामीण विकास की अवधारणा देकर समाज को समरस एवं सक्षम बनाने की पहल की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 02:32 AM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 02:32 AM (IST)
सामाजिक समरसता भारतीय संस्कृति का मौलिक ¨चतन : डॉ. आरसी मिश्रा
सामाजिक समरसता भारतीय संस्कृति का मौलिक ¨चतन : डॉ. आरसी मिश्रा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: हरियाणा पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. आरसी मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी ने समरसता को सामाजिक एकता का मूल मंत्र बनाया। इसी का नतीजा था कि समाज का हर वर्ग स्वतंत्रता संग्राम में एकजुट होकर लड़ा। गांधी ने लघु उद्योग के जरिए ग्रामीण विकास की अवधारणा देकर समाज को समरस एवं सक्षम बनाने की पहल की।

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वे मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी समरसता के संदर्भ में महात्मा गांधी का दृष्टिकोण में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस संगोष्ठी का आयोजन आध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन मातृभूमि सेवा मिशन, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ¨हदी विभाग एवं हरियाणा ग्रंथ अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

डॉ. मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी का ¨चतन आज भी प्रासंगिक है। सामाजिक समरसता भारतीय संस्कृति का मौलिक ¨चतन है। उन्होंने समाज के हर वर्ग को एक समान समझते हुए अस्पृश्यता खत्म करने में अद्वितीय योगदान दिया।

हरियाणा ग्रंथ अकादमी के निदेशक प्रोफेसर वीरेंद्र चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी ने सामाजिक सौहार्द को सबसे आगे रखा। समाज में समरसता नितांत आवश्यक है। समरसता का अभाव राष्ट्रीय एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारियों ने उनके विचारों को खूंटी पर लटका दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीन भारत निर्माण के लिए सामाजिक समरसता और स्वच्छता जैसे विषयों को महात्मा गांधी के दिखाए रास्ते पर चल कर नए सिरे से पहल की।

मुख्य वक्ता महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.श्रेयांश द्विवेदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने समाज को मूल्यों पर आधारित समरसता दी, ¨कतु वर्तमान में सिर्फ रोजगारपरक शिक्षा के नाम पर अगली पीढ़ी को अंधकार में धकेला जा रहा है। महामंडेलश्वर डॉ.स्वामी शाश्वतानंद जी महाराज ने कहा कि महात्मा गांधी ने छुआछूत को खत्म कर सामाजिक समरसता कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ.श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी की ¨चतनधारा राष्ट्रीयता की द्योतक है। उन्होंने समाज के हर वर्ग को एक समान समझा। जातिगत भेद न केवल समाज, बल्कि राष्ट्र के लिए घातक है। व्यक्ति समाज की सबसे छोटी इकाई है। जब तक वह अपने आप को दूसरों के समान सक्षम और सबल नहीं समझेगा तब तक वह अपन शत प्रतिशत योगदान किसी भी क्षेत्र में नहीं दे पाएगा। कार्यक्रम की संयोजिका ¨हदी विभाग की अध्यक्षता प्रो.पुष्पा रानी थीं। इस मौके पर स्थानेश्वर मंदिर के महंत बंसी पुरी, अद्वैत स्वरूप आश्रम के मुख्य प्रवक्ता महात्मा दिव्यनंद पुरी, एसपी सुरेंद्रपाल ¨सह, बाल संरक्षण कमेटी के चेयरमेन एडवोकेट कृष्ण पांचाल उपस्थित रहे।


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