सिख धर्म को दिया जाए संविधान में अलग धर्म का दर्जा : नलवी
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र हरियाणा सिख समाज विकास संस्था कार्यकारिणी की बैठक दीदार ¨स
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र
हरियाणा सिख समाज विकास संस्था कार्यकारिणी की बैठक दीदार ¨सह नलवी की अध्यक्षता में उधम ¨सह कंबोज धर्मशाला कुरुक्षेत्र में हुई। बैठक में सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक के बाद कार्यकारी अध्यक्ष दीदार ¨सह नलवी ने पारित किए गए प्रस्ताव की जानकारी दी। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से सिख धर्म को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने की मांग में सहयेाग करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-25 में संशोधन करवाएं। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-25 के मुताबिक सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी ¨हदू धर्म का अंग हैं, जबकि सर्वविदित है कि 13 अप्रैल 1699 को श्री गुरु गो¨बद ¨सह जी महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना करके इन्हें अलग पहचान और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज प्रदान किया था। वर्ष 1950 में भारतीय संविधान निर्माताओं ने जब संविधान को पारित किया, तो सिख धर्म को एक अलग धर्म के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए थी, जो न मिलने से सिख कौम की अनदेखी हुई है। इस कारण सिख समाज को देश-विदेश में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंसाफ लेना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। इसके बावजूद जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कई मामले पिछले 30-35 सालों से लटक रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कई मामलों में तो पेशी तक नहीं लगी हैं। दीदार ¨सह ने कहा कि किसानों के उत्पादन का पर्याप्त मूल्य न बढ़ने के कारण देश का किसान व मजदूर दिन प्रतिदिन गरीबी की ओर बढ़ रहा है। फसल उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले बीज, खाद और कीटनाशक दवाइयों का मूल्य बढ़ रहा है, जो केंद्र सरकार के नियंत्रण में होता है। उन्होंने बताया कि करीब 40 वर्ष पहले कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जिलों के किसानों की जमीन को नहरी ¨सचाई के लिए जसपुर बराज और धनौरा बराज का निर्माण कार्य शुरु किया था, जो अभी तक लटक रहा है। इस अवसर पर कुलवंत ¨सह नगला, ज्ञान ¨सह, डॉ. मोहन लाल शर्मा, अजमेर ¨सह, गुरमेल ¨सह, नरेंद्र ¨सह, परमजीत ¨सह, राज¨वद्र ¨सह, बल¨वद्र ¨सह, तरसेम ¨सह, विक्रम ¨सह आदि उपस्थित थे।