मकर संक्रांति पर बन रहा सिद्धि व परिजात योग, जाने किस राशि वाले क्या करें दान
मकर संक्रांति रविवार को मनाई जाएगी। इस बार मकर संक्रांति पर सिद्धि योग और परिजात योग का संयोग बन रहा है।
जेएनएन, कुरुक्षेत्र। माघ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी पर भगवान भास्कर का राशि परिवर्तन होगा। वे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर माघ कृष्ण त्रयोदशी रविवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस बार मकर संक्रांति पर सिद्धि योग और परिजात योग का संयोग बन रहा है। इस दिन गंगा स्नान व दान-पुण्य का महत्व है। इसके साथ ही माघ स्नान की भी शुरुआत हो जाएगी। सनातन धर्म में मकर संक्रांति की काफी महत्ता है।
मान्यता है कि इसी तिथि पर भीष्म पितामह को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसके साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे और खरमास समाप्त हो जाएगा। प्रयाग में कल्पवास भी मकर संक्रांति से शुरू होगा। ज्योतिषी रामराज कौशिक के मुताबिक 14 जनवरी को एक 45 दोपहर को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। रविवार दोपहर 12 बजे से शाम 5.15 बजे तक सूर्य का मकर में संक्रमण होगा। इस हिसाब से दोपहर 12 से शाम 5.15 बजे तक पुण्यकाल रहेगा।
शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्यास्त से पहले सूर्य का संक्रमण हो तो उसी तिथि व दिन मकर संक्रांति मनाना सम्मत है। वहीं रविवार 14 जनवरी की रात 7.35 बजे तक सूर्य का मकर राशि में संक्रमण होगा। इस हिसाब से सोमवार 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे तक पुण्यकाल रहेगा। उनके अनुसार इसके पूर्व में भी 12 और 13 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती रही है। स्वामी विवेकानंद के जन्म पर 12 जनवरी को मकर संक्रांति मनी थी। आने वाले 70 वर्षो में 16-17 जनवरी को भी मकर संक्रांति होगी। इस दिन इस बार सिद्धि योग और परिजात योग का संयोग बन रहा है।
सभ्यता का पर्व
मकर संक्रांति व लोहड़ी का पर्व आते ही त्योहारों का प्रारंभ हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गृहप्रवेश, सौम्यदेवप्रतिष्ठा, उपनयन संस्कार, मुंडन संस्कार, विवाह आदि मांगलिक कार्य करने में कोई दोष नहीं है। इस दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर में स्नान करके भगवान नारायण के निमित्त पुजा, पाठ, दान, यज्ञ आदि करने से भगवत कृपा की प्राप्ति होती है।
सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें
पंडित सुरेश कुमार मिश्र का कहना है कि मकर संक्रांति का प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि इस दिन तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें रोली, चावल, पुष्प, तिल, तथा गुड़ डालकर पूर्व दिशा में खड़े होकर दोनों हाथों से ऊंचा करके सूर्यदेव को आस्था से गायत्री मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। इस दिन देवता यज्ञ आदि का हव्य लेने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। गुरु और मंगल संग तुला राशि में रहने से परिजात योग बनेगा। मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, चूड़ा-दही, खिचड़ी, लकड़ी और अग्नि दान किया जाता है।
राशि अनुसार यह करें दान
मेष-तांबा की वस्तु, दही
वृष-चांदी, तिल
मिथुन-पीला वस्त्र, गुड
कर्क-सफेद ऊन, तिल
सिंह-गुड़, गेहूं
कन्या-हरा मूंग, तिल
तुला-गुड़, सात तरह के अनाज
वृश्चिक- लाल वस्त्र, दही
धनु-पीला वस्त्र, गुड़
मकर-कंबल, गुड
कुंभ-कंबल, घी
मीन-चना दाल, तिल मकर संक्रांति पर दान तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल आदि
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