मॉक ड्रिल में फेल हुए कई विभाग, दमकलकर्मी स्टेजिग एरिया में मोबाइल पर देखते रहे वीडियो
पांच दिन से चल रही तैयारी के बावजूद आठ डिग्री रिएक्टर पैमाने से अधिक के भूकंप पर की मॉक ड्रिल में कई विभाग फेल हो गए।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पांच दिन से चल रही तैयारी के बावजूद आठ डिग्री रिएक्टर पैमाने से अधिक के भूकंप पर की मॉक ड्रिल में कई विभाग फेल हो गए। किसी भी आपात स्थिति में दमकल विभाग को सबसे पहले मौके पर पहुंचना होता है, लेकिन इसी विभाग के कर्मी स्टेजिग एरिया में भी नहीं मिले। डीसी के सवाल उठाने पर अधिकारी दलबल के साथ मौके पर पहुंच तो गए, लेकिन कुछ देर बाद ही कर्मचारी अपने मोबाइलों में मॉक ड्रिल की वीडियो देखने लग गए। खुद सीएमओ भी अस्पताल में व्यवस्था संभालने की बजाय स्टेजिग एरिया में पहुंच गए। लघु सचिवालय की लिफ्ट से आम जनता आती-जाती रही। एलएनजेपी अस्पताल में तो घायलों की संख्या तक मिलने में दिक्कत रही।
भगवान न करे ऐसी विपता पड़ जाएं तो प्रशासन इतने बड़े खतरे से लोगों को शायद ही बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा पाएगा।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग और जिला प्रशासन ने शुक्रवार को भूकंप राहत पर मॉक ड्रिल की गई। प्रात: 11 बजे सायरन बजते ही रेस्क्यू ऑप्रेशन शुरू किया गया। यह करीब एक घंटे का रहा। लघु सचिवालय, डीएन गर्ल्स कॉलेज, डिवाइन सिटी मॉल और एलएनजेपी अस्पताल की बिल्डिग क्षतिग्रस्त दिखाई गई। चार टीमों ने अलग-अलग जगह रेस्क्यू कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लेकर पहुंची। 21 घायलों को रेस्क्यू किया गया। इनमें 12 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल पाए गए। डीएन गर्ल्स कॉलेज से पांच छात्राओं को स्टेजिग एरिया में ले जाया गया। यहां प्राथमिक जांच में छात्रा तनवी को गंभीरावस्था के चलते एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया। इसके अलावा बाकी स्थानों पर मिले घायलों को एलएनजेपी अस्पताल पहुंचाया। डीसी अपने कार्यालय से निकलकर सीधे स्टेजिग एरिया में पहुंचे
भूकंप के वक्त डीसी धीरेंद्र खड़गटा अपने कार्यालय में थे। वे यहां से निकलने के बाद 11:27 बजे स्टेजिग एरिया में पहुंचे। उन्होंने संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से आपातकाल के बारे में जानकारी ली। इसके बाद अपने कार्यालय में समीक्षा बैठक ली। डीसी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप के आने पर राहत पहुंचाने और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल की गई है। इसका उद्देश्य आपदा से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाना है। मॉक ड्रिल में ये कमियां आई सामने
नंबर-एक
लघुसचिवालय की चलती रही लिफ्ट
भूकंप मॉक ड्रिल को लेकर तीन दिन पहले से तैयारियां जारी रहने के बाद शुक्रवार को एन मौके पर गंभीर लापरवाही बरती गई। मॉक ड्रिल के लिए ठीक 11 बजे लघु सचिवालय में सायरन बजना शुरू हुआ और कर्मचारी बाहर की ओर निकलने लगे। इस दौरान परिसर में लगी लिफ्ट चालू रही और लोग इस लिफ्ट का इस्तेमाल लगातार करते रहे। जबकि भूकंप और आपदा की परिस्थिति में खास हिदायत दी जाती है कि लिफ्ट की बजाय सीढि़यों का इस्तेमाल करें। इतना ही नहीं बाहर घायलों को ले जाने के लिए भी एक ही एंबुलेंस पहुंची। ऐसे में बचाव दल के सदस्यों ने सभी घायलों को एक ही एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाया। नंबर-दो
स्टेजिग एरिया में कंट्रोल रूम और वॉकी-टॉकी तक नहीं
सबसे बड़ी कमी स्टेजिग एरिया में मिली। इसी पर अधिकारी गत पांच दिन से तैयारी करने में लगे हुए थे। यहां मिनी ऑफिस, अस्थायी बेड और कंट्रोल रूम तक नहीं बनाया गया। इसके अलावा कम्युनिकेशन के भी प्रबंध नहीं किए गए थे। बिजली निगम के सेंटर पर कोई भी अधिकारी व कर्मचारी नहीं मिला। इसके अलावा किसी भी विभाग के पास अपनी टीम के कांटेक्ट नंबर और अन्य डिटेल नहीं थी। नंबर-तीन
स्ट्रेचर भी नहीं मिले, हाथों पर उठाकर लाए घायल
डिवाइन सिटी मॉल में बचाव दल स्ट्रेचर तक नहीं लेकर पहुंचे। ऐसे में घायलों को नीचे जमीन पर लिटाकर प्राथमिक उपचार दिया। इसके बाद उनको हाथों में उठाकर ही एंबुलेंस में ले गए। यहां केवल बेसमेंट तक ही मॉक ड्रिल सीमित रखी। दुकानों में इस तरह की मॉक ड्रिल इतने व्यापक तरीके से नहीं की गई। वर्जन :
मॉक ड्रिल किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए की गई है। यह सब कमियों को दूर करने के लिए होता है। संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है। इस तरह की मॉक ड्रिल भविष्य में भी की जाएंगी।
धीरेंद्र खड़गटा, डीसी, कुरुक्षेत्र