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विज्ञान और व्यावसायिक कौशल को बढ़ावा दिया जाना जरूरी : डॉ.देवव्रत

गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक आचार्य डॉ.देवव्रत ने कहा कि युवा पीढ़ी को नई दिशा देने के लिए उन्हें व्यवासयिक कौशल के क्षेत्र में आगे बढ़ाना होगा। विज्ञान की मदद से व्यवसाय को आसान बनाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 07:10 AM (IST)
विज्ञान और व्यावसायिक कौशल को बढ़ावा दिया जाना जरूरी : डॉ.देवव्रत
विज्ञान और व्यावसायिक कौशल को बढ़ावा दिया जाना जरूरी : डॉ.देवव्रत

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक आचार्य डॉ.देवव्रत ने कहा कि युवा पीढ़ी को नई दिशा देने के लिए उन्हें व्यवासयिक कौशल के क्षेत्र में आगे बढ़ाना होगा। विज्ञान की मदद से व्यवसाय को आसान बनाया जा सकता है। वह शुक्रवार को गुरुकुल कुरुक्षेत्र के 107वें वार्षिक महोत्सव के मौके पर विज्ञान और व्यवसायिक कौशल प्रदर्शनी के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे कल के भारत का भविष्य हैं। वर्तमान में बच्चों को दी जा रही शिक्षा पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है। शिक्षकों के कंधों पर देश का निर्माण करने की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इससे पहले सुबह के सत्र में महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर संबोधित करते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान मा. रामपाल आर्य ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा नैतिक व मानवीय मूल्यों की पहचान है, इसके बिना शिक्षा अधूरी है। शिक्षक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को संस्कार भी दें ताकि राष्ट्र को सभ्य नागरिक मिल सकें। परिवार विद्यार्थी की पहली पाठशाला है इसलिए परिवार के लोगों को अपने आचरण व व्यवहार को सभ्य बनाना चाहिए। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के प्रो. डॉ. सुरेंद्र कुमार ने कहा कि गुरुकुल की शिक्षा और नियमित दिनचर्या बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है। वास्तव में गुरुकुल कुरुक्षेत्र शिक्षा का अनुपम केंद्र है जहां विद्यार्थियों का बौद्धिक, आत्मिक और सामाजिक विकास हो रहा है। प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता ने गुरुकुल का संक्षिप्त परिचय दिया। गुरुकुल के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी, सह प्राचार्य शमशेर सिंह ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान किया। इस अवसर पर डॉ. राजेंद्र विद्यालंकार मौजूद रहे। महोत्सव में पहुंचे अतिथियों के सामने ब्रह्मचारियों ने कम लागत प्राकृतिक खेती पर नाटक प्रस्तुत किया।

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