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89 वर्षीय सरदार वरियाम सिंह ने की अभियान की शुरुआत

89 वर्षीय सरदार वरियाम सिंह ने सबसे पहले सदस्यता फार्म भरकर श्रीमद्भगवद गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सदस्यता अभियान को विश्व में पहले स्थान पर पहुंचाने के लिए छलांग लगा दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 07:20 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 07:20 AM (IST)
89 वर्षीय सरदार वरियाम सिंह ने की अभियान की शुरुआत
89 वर्षीय सरदार वरियाम सिंह ने की अभियान की शुरुआत

विनोद चौधरी, कुरुक्षेत्र :

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89 वर्षीय सरदार वरियाम सिंह ने सबसे पहले सदस्यता फार्म भरकर श्रीमद्भगवद गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सदस्यता अभियान को विश्व में पहले स्थान पर पहुंचाने के लिए छलांग लगा दी है। इस अभियान की शुरुआत के पहले ही दिन 19 देशों से करीब 12 हजार पूर्व छात्र अभियान का हिस्सा बने हैं। विद्या भारती के देश भर में लगभग 13000 विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में 1.50 लाख शिक्षक और 35 लाख विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। इन्हीं विद्यालयों के पूर्व छात्रों के दम पर पूर्व छात्र परिषद ने विश्व में सबसे अधिक करीब 3.50 लाख की सदस्यता वाली अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी को मात देने की तैयारी कर ली है।

17 अक्टूबर से शुरू हुआ यह पूर्व छात्र सदस्यता अभियान 16 नवंबर तक चलेगा। विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद ने इस अभियान को विद्या भारती उत्सव 2020 का नाम दिया है। इस अभियान की खासियत है कि इस एक माह में हर दिन पोर्टल के माध्यम से देश भर के अलग-अलग राज्यों में मनाए जाने वाले त्योहारों और उत्सवों का भी प्रचार किया जाएगा।

गौरतलब है कि 19 नवंबर 1946 को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक रहे माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने कुरुक्षेत्र में विद्याभारती के सबसे पहले श्रीमद्भगवद गीता विद्यालय की नींव रखी थी। अब विद्याभारती की ओर से देश भर में 13000 विद्यालय चलाए जा रहे हैं। इन्हीं विद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों पूर्व छात्र आज विश्व भर में नामचीन पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

89 वर्षीय वरियाम सिंह बोले स्कूल के पहले हेडमास्टर अनुशासन के मामले में थे सख्त

इस अभियान की शुरुआत करते हुए 1950 बैच के पूर्व छात्र 89 वर्षीय वरियाम सिंह ने बताया कि विद्यालय के सबसे पहले हेडमास्टर खेमचंद थे। वह अनुशासन के मामले में बहुत सख्त थे। उनकी इसी सख्ती का ही परिणाम है कि उम्र के 89 वर्ष पूरे करने के बाद भी वह कभी भी अनुशासन नहीं तोड़ते। उन्होंने यही बात अपनी अगली पीढ़ी को भी सिखाई है। उन्होंने कहा कि विद्यालय की छुट्टी होते ही हेडमास्टर छात्रों के साथ ही गांवों में निकल जाते थे और छात्रों के माता-पिता को भी अपने बच्चों का ख्याल रखने की सलाह देकर आते थे। उन्होंने अपनी 10वीं की मार्कशीट भी पूर्व छात्र परिषद को दिखाई। इसके बाद 1949 बैच के 86 वर्षीय रतन लाल बंसल, 1953 बैच के 84 वर्षीय लक्ष्मण दास मदान, इसी बैच के 84 वर्षीय रामप्रकाश गुजरानी ने भी सदस्यता फार्म भरा। विश्व में नंबर एक का लक्ष्य

विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद के राष्ट्रीय संयोजक डा. पंकज शर्मा ने कहा कि विद्या भारती विश्व का सबसे बड़ा गैर सरकारी शिक्षण संस्थान है। वह विद्या भारती की पूर्व छात्र परिषद को विश्व में नंबर एक पर लेकर जाएंगे। अभी तक अमेरिका के पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्र सदस्यता 3.50 लाख के करीब है। वह इसको पार कर नंबर एक पर पहुंचेंगे। अभियान के पहले ही दिन 19 देशों से 12 हजार पूर्व छात्रों ने सदस्यता ली है। यह सदस्यता अभियान इसी तरह जारी रहेगा। उन्होंने पिछले पांच सालों में विश्व भर में बसे पूर्व छात्रों को सोशल मीडिया की मदद से पूर्व छात्र परिषद के साथ जोड़ दिया है।


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