आयुर्वेद में संस्कृत विषय को किया जाना चाहिए अनिवार्य : डॉ. बलदेव कुमार
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा का ज्ञान, आयुर्वेद को समझने में अहम भूमिका निभाता है, इसलिए आयुर्वेदाचार्य पाठ्यक्रम में संस्कृत विषय को भी अनिवार्य तौर पर शामिल किया जाना चाहिए।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा का ज्ञान, आयुर्वेद को समझने में अहम भूमिका निभाता है, इसलिए आयुर्वेदाचार्य पाठ्यक्रम में संस्कृत विषय को भी अनिवार्य तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। कुलपति विश्व आयुर्वेद परिषद, हरियाणा संस्कृत अकादमी तथा श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित, आयुर्वेद में संस्कृत की उपादेयता, विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और आयुर्वेद से संबंधित सभी पाठ्यक्रमों के विषय की भाषा संस्कृत ही है, इसलिए संस्कृत विषय को सभी वर्षों के पाठ्यक्रम के दौरान पढ़ाया जाना चाहिए। इसके लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय को आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में केंद्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति (सीसीआइएम), नई दिल्ली के मानकों के अनुरूप प्रोफेसर, रीडर तथा प्रवक्ता के पदों को अनिवार्य तौर सृजित करना चाहिए। डॉ. बलदेव ने कहा कि संस्कृत भाषा के ज्ञान से ही आयुर्वेद एवं उसके मूल को समझने में सहायता मिलेगी और इससे आयुर्वेद विषय पर अधिक गहनता से अनुसंधान हो सकेगा। इससे लोगों को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति और अधिक लाभदायक सिद्ध होगी तथा चिकित्सक भी मरीजों की मनोदशा समझकर उचित उपचार कर सकेंगे। इस दौरान हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. सोमेश्वर दत्त ने कहा कि संस्कृत भाषा न केवल आयुर्वेद बल्कि सभी विषयों की मूल भाषा है, जिसकी सहायता से विषय की धारणा को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत और संस्कृति के उत्थान के लिए हरियाणा सरकार कटिबद्ध है और हरसंभव प्रयास कर रही है। संगोष्ठी में पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल और दिल्ली सहित अनेक राज्यों के संस्कृत विद्वानों ने भाग लिया। इस दौरान प्रो. एसडी शर्मा, डॉ. पीसी मंगल, डॉ. अमित कटारिया, डॉ. राजा ¨सगला, डॉ. कृष्ण कुमार, डॉ. सचित शर्मा, डॉ. रीटा एवं विद्यार्थी मौजूद थे।