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अपने ही भीतर बैठे परमामा को न जानने से दुखी व अशांत है : साध्वी सत्यप्रेमा भारती

गांव रामशरण माजरा में चार दिवसीय भगवान शिव कथा का समापन शिव व पार्वती के विवाह के साथ हुआ। साध्वी सत्यप्रेमा भारती ने प्रवचन करते हुए कहा कि मानव जीवन शिव व पार्वती के मिलन का एक दुर्लभ अवसर है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 06:45 AM (IST)
अपने ही भीतर बैठे परमामा को न जानने से दुखी व अशांत है : साध्वी सत्यप्रेमा भारती
अपने ही भीतर बैठे परमामा को न जानने से दुखी व अशांत है : साध्वी सत्यप्रेमा भारती

संवाद सहयोगी, बाबैन : गांव रामशरण माजरा में चार दिवसीय भगवान शिव कथा का समापन शिव व पार्वती के विवाह के साथ हुआ। साध्वी सत्यप्रेमा भारती ने प्रवचन करते हुए कहा कि मानव जीवन शिव व पार्वती के मिलन का एक दुर्लभ अवसर है। शिव भाव परमात्मा और पार्वती आत्मा है। आज का मानव अपने इस वास्तविक लक्ष्य से अनभिज्ञ है। मननशील प्राणी होते हुए भी वह उस तत्व पर विचार ही नहीं करता जिस पर मनन करके उसे जीवन का लक्ष्य मिल सकता है। सारे संसार का ज्ञान रखने वाला आदमी शिव व पार्वती के रहस्य से अपरिचित है। यही हालत हिमाचल में हिमवान व मैना की है। गुरु की पहचान बताते हुए साध्वी ने कहा कि गुरु शब्द दो शब्दों के मिलाप से बना है। गु और रु। गु भाव अंधकार और रु भाव प्रकाश। जो मानव के अंत:करण में व्याप्त अंधकार व ईश्वर संबंधी संदेहों को प्रकाश व आत्मज्ञान के माध्यम से तिरोहित कर दे वही पूर्ण व ब्रह्यनिष्ठ गुरू है, लेकिन आज ऐसे का संग प्राप्त न होने के कारण ही मानव का अंत अंधकार से भरा हुआ है।

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