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रासायनिक और जैविक खेती बर्बादी के लिए जिम्मेदार : डॉ.देवव्रत

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य डॉ.देवव्रत ने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक कृषि में ही वह शक्ति है जो न केवल बंजर हो चुकी भूमि को उपजाऊ बना सकती है बल्कि लगातार घटते जलस्तर को भी सुधारने में सफल है। इस पद्धति को अपनाकर किसान अपने आय को दोगुनी-तीन गुणा बढ़ा सकते हैं। यही कारण है कि आज देश में लगभग 50 लाख किसान खेती की इस पद्धति को अपना चुके हैं। रासायनिक और जैविक खेती जमीन व किसान की बर्बादी के लिए जिम्मेदार है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 02:10 AM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 02:10 AM (IST)
रासायनिक और जैविक खेती बर्बादी के लिए जिम्मेदार : डॉ.देवव्रत
रासायनिक और जैविक खेती बर्बादी के लिए जिम्मेदार : डॉ.देवव्रत

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य डॉ.देवव्रत ने कहा कि जीरो बजट प्राकृतिक कृषि में ही वह शक्ति है जो न केवल बंजर हो चुकी भूमि को उपजाऊ बना सकती है बल्कि लगातार घटते जलस्तर को भी सुधारने में सफल है। इस पद्धति को अपनाकर किसान अपने आय को दोगुनी-तीन गुणा बढ़ा सकते हैं। यही कारण है कि आज देश में लगभग 50 लाख किसान खेती की इस पद्धति को अपना चुके हैं। रासायनिक और जैविक खेती जमीन व किसान की बर्बादी के लिए जिम्मेदार है। वे गुरुकुल कुरुक्षेत्र में चल रही दो दिवसीय जीरो बजट प्राकृतिक कृषि कार्यशाला के अंतिम दिन हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र में जीरो बजट प्राकृतिक कृषि का उत्कृष्ट व अनुपम उदाहरण है, जहां 180 एकड़ में पूर्णरूप से इस पद्धति को अपनाकर न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति को सुदृढ़ किया गया है बल्कि उत्पादन भी अधिक लिया जा रहा है। बॉक्स

समय की जरूरत जीरो बजट खेती

वैज्ञानिकों व कुलपतियों ने माना कि सुभाष पालेकर की जीरो बजट प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रासायनिक और जैविक खेती ने पर्यावरण को भी बहुत भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसकी भरपाई सिर्फ और सिर्फ जीरो बजट प्राकृतिक कृषि को अपनाकर ही की जा सकती है। इस मौके पर पद्मश्री सुभाष पालेकर, पंजाब राज्यपाल के सचिव जेएम बालामुरुगन, ग्वालियर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एसके राव, जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.पीके बीसेन, राजस्थान की कोटा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.जीएल केशवा, जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.पीएस राठौर, एनडीआरआइ करनाल से डॉ एसके शर्मा, कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर से डॉ.डीके ¨सह, डॉ.अमित भटनागर, गुरुकुल प्रधान कुलवंत ¨सह सैनी, सह प्राचार्य शमशेर ¨सह, डॉ. हरिओम व डॉ.बलजीत सहारण मौजूद रहे। उन्होंने गुरुकुल की आधुनिक गोशाला, एनडीए ¨वग, जीवामृत निर्माण केंद्र सहित विभन्न प्रकल्पों का अवलोकन किया। जीरो बजट प्राकृतिक कृषि फार्म पर खड़ी धान, गन्ना व सब्जियों की फसलों का मुआयना किया। बॉक्स

रासायनिक खेती से किसान बदहाल

सभागार में पदमश्री सुभाष पालेकर ने सभी कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि रासायनिक कृषि ने पिछले छह दशकों में देश के किसान को बदहाली के कगार पर खड़ा कर दिया है। आज ग्लोबल वार्मिंग के लिए 40 प्रतिशत दोषी रासायनिक कृषि है, साथ ही इससे भूमि की उर्वरा शक्ति व जल स्तर भी लगातार कम होता जा रहा है। इसके अतिरिक्त जैविक कृषि भी किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है क्योंकि इसमें 3 सालों तक कम पैदावार होती है, ऐसे में यदि किसान और भूमि की दशा सुधारनी है तो एकमात्र विकल्प जीरो बजट प्राकृतिक कृषि का है। कार्यशाला में आए सभी कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया कि रासायनिक और जैविक खेती सभी के लिए नुकसानदायक है।


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