नई शिक्षा नीति में छात्रों का वास्तविक जीवन से जुड़ाव: रवि कुमार
विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान और सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यशाला के नौवें दिन व्याख्यान सांस्कृतिक कार्यक्रम व गीत गायन से भरा रहा। विद्या भारती हरियाणा के संगठन मंत्री रविकुमार ने नई शिक्षा नीति पर कहा कि नई शिक्षा नीति में बच्चों को वास्तविक जीवन से भी जुड़ जाएं ऐसे नियम बनाए गए हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र:
विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान और सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यशाला के नौवें दिन व्याख्यान, सांस्कृतिक कार्यक्रम व गीत गायन से भरा रहा। विद्या भारती हरियाणा के संगठन मंत्री रविकुमार ने नई शिक्षा नीति पर कहा कि नई शिक्षा नीति में बच्चों को वास्तविक जीवन से भी जुड़ जाएं, ऐसे नियम बनाए गए हैं। आर्ट इंटीग्रेशन से बच्चे अब विषय के साथ-साथ कलाओं को भी सीखेंगे। वरली आर्ट से गणित के साथ-साथ भाषा के गीत, कविताओं से गायन, वादन, ताल का संगीत-संगम बच्चे सीख सकेंगे। इसमें प्रत्येक प्रांत की विधाओं को शामिल किया गया है। इस अवसर पर वीडियो क्लिप के माध्यम से कक्षा को प्रभावी बनाने में प्रश्नों की महत्ता बताई और अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर बच्चों को देने के अवसर देना हितकर बताया।
कल्चरल मैपिग ऑफ इंडिया कमेटी, संस्कृति मंत्रालय के सदस्य एवं विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेंद्र सिंह ने अपराह्न सत्र में संस्कृति संरक्षण के बचाव-ठहराव पर प्रकाश डाला। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कल्चरल मैपिग ऑफ इंडिया पोर्टल का निर्माण किया गया है, जिसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों को संगठित, संग्रहित करने का उद्देश्य है। सुबह के सत्र से पूर्व कर्नाटक राज्य की रंगारंग प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। सुंदर लोकगीत, नृत्य, व्यंजनों, पर्यटन स्थल, सामग्री आदि का सुंदर प्रदर्शन कार्यक्रम की विशेषता रही। दोपहर पश्चात के सत्र में गीता निकेतन आवासीय विद्यालय से प्राध्यापिका सविता सेठ ने भारतीय भाषाओं में गीतों का अभ्यास कराया। उन्होंने हिदी गीत हिद देश के निवासी सभी जन एक हैं, पंजाबी गीत असी देश दी चढ़दी लाली रुत्तों रुत्त बहारां.,गुजराती गीत रंग रंगीला फुल अमे सौ रंग रंगीला फुल., कन्नड़ और हिमाचली गीत एवं भजन भी प्रस्तुत किए। कार्यशाला में देशभर से आए प्रतिभागियों ने संस्थान में स्थित संस्कृति संग्रहालय का अवलोकन किया। डॉ.रामेंद्र सिंह ने देश भर से आए प्रतिभागियों को संग्रहालय का अवलोकन करवाया।