आरटीआइ कार्यकर्ता ने सूचना आयुक्त पर सुनवाई के बाद लिखित आदेश बदलने का लगाया आरोप
शाहाबाद के आरटीआइ कार्यकर्ता राकेश बैंस ने आलाधिकारियों समेत मुख्य सचिव चंडीगढ को पत्र लिखकर मांग की है कि सूचना आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
संवाद सहयोगी, शाहाबाद : शाहाबाद के आरटीआइ कार्यकर्ता राकेश बैंस ने आलाधिकारियों समेत मुख्य सचिव चंडीगढ को पत्र लिखकर मांग की है कि सूचना आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मांग की है कि एक ग्राम सरपंच से सूचना दिलाने में नाकाम रहने तथा जुर्माना करने में भी नाकाम रहने पर सरकार को 25 हजार रुपये का नुकसान सूचना आयोग की सेलरी से काटा जाए ताकि जनता के पैसे और समय को बचाया जा सके। शिकायत में कहा गया कि उन्होंने केस की सुनवाई सूचना आयुक्त के पास 25 जुलाई से चल रही है। इसकी पहली सुनवाई 11 अक्टूबर से शुरू हुई और सुनवाई के दौरान आयुक्त द्वारा मौके पर जो आदेश देते थे। उन्होंने बाद में बदलकर कुछ और आदेश आते थे। ऐसा मामला तीन बार हो चुका है। उन्होंने बताया कि पहली बार 11 अक्तूबर को सुनवाई करते हुए बिना उनके पेश हुए उत्तरवादी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए अगली तारीख चार दिसंबर को खुद पेश होने के आदेश दिए थे। शिकायत में कहा गया कि चार दिसंबर को सुनवाई की गई, जिसमें वह खुद पेश हुए लेकिन उत्तरवादी पेश नहीं हुए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सुनवाई के दौरान मौखिक तौर पर जमानती वारंट जारी किए थे, लेकिन लिखित आदेशों में एक बार फिर केवल नोटिस जारी किया गया और उत्तरवादी को दो माह का समय देते हुए अगली तारीख पांच फरवरी 2019 को खुद पेश होने के आदेश दिए। पांच फरवरी को सुनवाई की गई, जिसमें शिकायतकर्ता व उत्तरवादी पेश नहीं हुए, केवल ग्राम सचिव पेश हुआ था। उसके ऊपर कारण बताओ नोटिस की कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई और न सख्त आदेश लागू किए गए।
शिकायत में कहा गया कि उत्तरवादी सरपंच के पेश न होने पर बिना किसी कारण के एक मौका और दिया गया तथा 50 दिन का समय देते हुए सुनवाई की तारीख 27 मार्च को खुद पेश होने के आदेश दिए। 27 मार्च को सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता खुद पेश हुए और उत्तरवादी की तरफ से केवल ग्राम सचिव पेश हुआ। लेकिन संबंधित सरपंच फिर भी पेश नहीं हुआ। सुनवाई के दौरान विरोध के बाद उत्तरवादी को सूचना आयुक्त सुखबीर गुलिया द्वारा पुलिस अधीक्षक कुरुक्षेत्र को लिखा गया कि उत्तरवादी को 18 अप्रैल को आयोग के समक्ष पेश किया जाए। शिकायत में कहा गया कि 18 अप्रैल को उत्तरवादी सरपंच आयोग के समक्ष पेश हुआ, लेकिन ग्राम सचिव बीमारी के चलते पेश नहीं हुए। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता से फोन पर बात की गई तो उन्होंने अपील की कि मांगी गई सूचना दिलवाई जाए व दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
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