राधा, प्रेम तथा कृष्ण आनंद का प्रतीक : स्वामी ज्ञानानंद
जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि जहां प्रेम होता है वहीं आनंद व शांति होती है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि जहां प्रेम होता है वहीं आनंद व शांति होती है। प्रेम के बिना शांति की कल्पना करना दूर की बात है। राधा प्रेम का प्रतीक है जबकि कृष्ण आनंद का प्रतीक है। जहां राधा और कृष्ण की कृपा होगी उस परिवार मे सुख स्मृद्धि, शांति और प्रेम रहता है। वे झांसा में समाज सेवी धनीराम भारती की प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित सत्संग में व्यास पीठ से बोल रहे थे। इस अवसर पर प्रदेश के श्रम, रोजगार एवं खनन राज्यमंत्री नायब सिंह सैनी, लाडवा के विधायक डॉ. पवन सैनी, डॉ.पवन गोयल, भाजपा नेत्री बंतो कटारिया, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर, उपेंद्र सिगला, विजय नरूला, सुनील वत्स भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान स्व. धनीराम भारती द्वारा लिखी गई पुस्तक हिदुस्तान हम सबकी जान का स्वामी ज्ञानानंद ने विमोचन किया। सत्संग के दौरान वृंदावन से आए गायक राहुल चौधरी ने राधा और कृष्ण से संबंधित भजन गाए।
स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि सत्संग से कोई हानि नहीं होती और कुसंगत का कोई लाभ नही होता। सत्संग से सद्बुद्धि आती है जबकि कुसंगत से अच्छी बुद्धि भी बिगड़ जाती है। बुद्धि जीवन रूपी रथ की सारथी है, सारथी अच्छा होगा तो जीवन रूपी रथ भी सही मार्ग पर चलेगा। भागवत गीता की चर्चा करते हुए कहा कि गीता जीवन का चितन है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन गीता पाठ करना चाहिए।