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यूआइईटी में प्रोडक्टिविटी इनहांस्मेंट कार्यशाला का समापन हुआ

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआइईटी संस्थान के निदेशक प्रो. सीसी त्रिपाठी ने कहा कि आजकल किसी भी संस्थान में 20 प्रतिशत कर्मचारी अपनी योग्यता से भी ऊपर काम करते हैं। वह कर्मचारी कई बार तनाव में आ जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 06:10 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 06:35 AM (IST)
यूआइईटी में प्रोडक्टिविटी इनहांस्मेंट कार्यशाला का समापन हुआ
यूआइईटी में प्रोडक्टिविटी इनहांस्मेंट कार्यशाला का समापन हुआ

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआइईटी संस्थान के निदेशक प्रो. सीसी त्रिपाठी ने कहा कि आजकल किसी भी संस्थान में 20 प्रतिशत कर्मचारी अपनी योग्यता से भी ऊपर काम करते हैं। वह कर्मचारी कई बार तनाव में आ जाते हैं। कई बार संस्थानों में ऐसे भी कर्मचारी होते हैं, जो कार्य क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर पाते। इस प्रकार संस्थान की कार्यप्रणाली की क्षमता कमजोर होती है और कार्य गुणवत्ता में कमी आ जाती है। उसका परिणाम नकारात्मक मिलता है इसलिए सभी को अपनी जिम्मेदारियों के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए ताकि सबको बराबर मौका मिले। वे यूआइईटी के मैकेनिकल ब्लॉक में आयोजित सात दिवसीय प्रोडक्टिविटी इनहांस्मेंट कार्यशाला के समापन अवसर पर बोल रहे थे।

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उन्होंने कहा कि परस्पर सहयोग की भावना से ही संस्थान में विकास होता है इसलिए सबको इसके प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन सही तरीके से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धन ही केवल खुशी नहीं दे सकता। इसलिए धन का प्रयोग गरीब इंसान की मदद करके भी सुख की प्राप्ति की जा सकती है। ऐसा ही उद्देश्य है इस कार्यशाला का है। व्यक्ति विकास केंद्र जयपुर से अभिषेक ने कहा कि चितन और मनन किसी भी कठिनाई को दूर करने का बड़ा गुण है। उन्होंने प्रतिभागियों को मेडिटेशन व अन्य गतिविधियों के साथ व्यक्ति विकास की प्रयोगात्मक क्रिया करवाई, जिसके कारण मन मे उत्पन्न होने वाली भ्रांतियों की बारीकियों को दूर करने और सहभागिता का प्रशिक्षण दिया गया। कई बार किसी कारण मन मन मे छोटी-छोटी भ्रांतियां पैदा होती है, व्यक्ति विकास में अवरोधक बन जाती हैं। इसलिए दिन में एक बार किए कार्य के बारे में उससे पहले उस पर चितन और मनन करना चाहिए ताकि कार्यक्रम में किसी भी प्रकार की त्रुटि ना हो और हम सफलता की ओर अग्रसर हो।

कार्यशाला मे विजय गर्ग ने कहा कि हमें भी अपने बच्चों जैसा व्यवहार आम आदमी के साथ करना चाहिए और अपनी कमी को स्वीकार कर लेना चाहिए। डॉ. सुनीता खटक ने कहा कि किसी भी कार्य मे दिल और दिमाग का होना बहुत जरूरी है, इसे लेकर गीत भी गाया। परमिद्र सैनी ने समय प्रबंधन के साथ छोटे-बड़े में भेदभाव नहीं करना चाहिए। इस अवसर पर कार्यशाला संयोजिका डॉ.सविता गिल, डॉ.मधुदीप सिंह, नेहा दुग्गल, इलेक्ट्रॉनिक्स इंचार्ज डॉ.पुनीत बंसल, डॉ.राम अवतार, डॉ.राजेश दहिया, विजय गर्ग, डॉ.दीपक मलिक, प्रियंका जांगड़ा, शिखा, डॉ.सुनीता खटक, दीप्ति चौधरी, सोनिया, पूनम चौधरी, सुरभि, अजय शर्मा, कुलदीप मलिक, मनोज, परमिद्र सैनी व विजेंद्र कुंडू उपस्थित थे।


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