युवाओं को स्वरोजगार की राह दिखा रही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
सतीश चौहान कुरुक्षेत्र जितेंद्र कुमार की गुलजारी लाल नंदा मार्ग पर वाल्मीकि चौक के पास स्थित छोटी सी दुकान थी। हालात शुरुआत में ऐसे थे कि परिवार का गुजारा मुश्किल था।
सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र : जितेंद्र कुमार की गुलजारी लाल नंदा मार्ग पर वाल्मीकि चौक के पास स्थित छोटी सी दुकान थी। हालात शुरुआत में ऐसे थे कि परिवार का गुजारा मुश्किल था। खर्चे से कम कमाई थी। जितेंद्र बताते हैं, मैंने वर्ष 2007 में यहां दुकान बनाई थी। उस समय दुकान में खाने के सामान की व्यवस्था की गई थी। जिसमें चाय के साथ ही दोपहर और रात का खाना दिया जाता है। दुकान पर बैठने वाले एक दोस्त ने मुझे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में जानकारी दी। बताया कि छोटे काम के लिए बैंक से पैसा मिल जाएगा, जिससे आमदनी बढ़ेगी। मैं बैंक के पास अपने कागजातों के साथ गया। हालांकि स्टेट बैंक के अधिकारियों की ओर से उसकी पूरी जांच की गई, लेकिन उन्होंने मेरे काम को देखते हुए 2014 में उसे 50 हजार रुपये का मुद्रा ऋण दे दिया। उसके बाद मैंने अपनी दुकान को और अधिक बढ़ा दिया। जिसमें एक दुकान को और लेकर साथ ही परचून का सामान भी रखा गया। इसके साथ ही मोबाइल रिचार्ज करने, डिसचार्ज करने आदि का काम शुरू कर दिया गया। इससे मेरा काम बढ़ गया है और हम दोनों भाई अब इस दुकान को चला रहे हैं। मुद्रा ऋण कभी का पूरा भी हो गया, लेकिन उनके काम में उनका सहायता मिल गई।
जितेंद्र जैसे जिले में बहुत से लाभार्थी हैं, जिनकी जिदगी को प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना ने बदल दी है। फोटो संख्या-30
इस्माईलाबाद के राजेश कुमार की चल पड़ी स्वरोजगार की गाड़ी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के कारण इस्माईलाबाद के राजेश कुमार की रोजगार की गाड़ी भी चल निकली। वह गांव में ही एक छोटी सी दुकान में खल भंडार चला रहे थे, लेकिन पैसे की कमी के कारण व्यवसाय में निवेश करने में दिक्कत हो रही थी। गांव में परिवार के ही एक सदस्य ने योजना के बारे में बताया। उसके बाद गांव में स्थित पंजाब नेशनल बैंक में गया तो वहां अधिकारियों ने कुछ कागजों की मांग की। दसवीं की अंकतालिका दिखाई। बैंक के अधिकारियों ने मेरी दुकान का मुआयना भी किया। उसके बाद 60 हजार रुपये का ऋण दिया। जिसका निवेश दुकान में किया तो रोजगार की गाड़ी चल निकली। उसके बाद बैंक का ऋण भी भर दिया और आज अपने परिवार को चलाने लायक हो गया हूं। बाक्स
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बैंकों के चक्कर काटकर थका नहीं दिया गया ऋण बाबैन के गांव गुढ़ा निवासी समीर खान ने बताया कि वह बाबैन में ही रेडिमेड गारमेंट्स की दुकान चलाता है। उसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की जानकारी मिली थी तो वह पास में ही स्थित कैनरा बैंक में ऋण लेने के लिए गए। अधिकारियों ने कई बार उसे कागजों सहित बुलाया और कई बार अधिकारियों से बातचीत की। हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर वे मुझे टालते रहे। इसके कारण कई बार दुकान भी बंद रखनी पड़ी और दुकानदारी का नुकसान हुआ। कई महीनों बाद बैंकों के चक्कर काटने के बाद भी बैंक ने कोई रास्ता नहीं दिया तो थककर घर पर ही बैठ गया। बॉक्स
खूब भा रही योजना केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने हजारों युवाओं को रोजागर की राह दिखाई है। स्वरोजगार के लिए चलाई गई योजना ने हजारों युवाओं का भविष्य संवारा है, हालांकि बैंकों की सुस्ती ने योजना को अमलीजामा पहनाने में दिक्कत हुई है। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत कुरुक्षेत्र में अप्रैल 2018 से दिसंबर 2018 तक 7 हजार 644 बेरोजगारों को रोजगार स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। योजना की खास बात ये है कि योजना में देश की आधी आबादी महिलाओं को भी आगे बढ़कर रोजगार स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिले में वर्ष 2018 में 3636 महिलाओं को ऋण प्रदान किया गया है। वहीं 1755 अनुसूचित जाति के युवाओं ने भी योजना का लाभ प्राप्त हुआ है।