दूषित पेयजल की आपूर्ति के लिए लोग खुद जिम्मेदार
शहर की विभिन्न कॉलोनियों में दूषित पेयजल की आपूर्ति के लिए स्वयं लोग ही जिम्मेदार है। यह बात जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से वर्ष 2019 में लिए गए जिले भर सैंपल को देख कर कही जा रही है। विभाग की ओर से अप्रैल 2019 से एक दिसंबर तक जिलेभर से लिए 1059 में से मात्र एक सैंपल ही फेल हुआ है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : शहर की विभिन्न कॉलोनियों में दूषित पेयजल की आपूर्ति के लिए स्वयं लोग ही जिम्मेदार है। यह बात जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से वर्ष 2019 में लिए गए जिले भर सैंपल को देख कर कही जा रही है। विभाग की ओर से अप्रैल 2019 से एक दिसंबर तक जिलेभर से लिए 1059 में से मात्र एक सैंपल ही फेल हुआ है। यह सैंपल भी ग्रामीण क्षेत्र का है। गांव थेमल बोड़ा में सैंपल फेल हुआ था, जिसके स्थान पर विभाग ने नया ट्यूबवेल लगाया है। हालांकि विभाग उन कनेक्शनों पर नकेल कसने में नाकाम है, जो कनेक्शन नालों से गुजर रहे हैं। इसके कारण समय-समय पर पेयजल आपूर्ति के समय कुछ क्षेत्रों में दूषित पेयजल की आपूर्ति होती है। दूषित पेयजल से होने वाली प्रमुख बीमारियां
आयोग्य आयुर क्लीनिक के डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि जल संक्रमण से किसी भी आयु के व्यक्ति को बीमारी हो सकती है, परंतु सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को रहता है। इससे होने वाली बीमारियां में त्वचा विकार, पेट में पथरी, वायरल, हेपेटाइटिस या पीलिया, हैजा, पोलियो, टाइफाइड, अतिसार, रोटा वायरस, डायरिया और कीड़े होना प्रमुख है। बरसात के मौसम में वायरल हेपेटाइटिस यानी पीलिया, कमला रोग या पांडु रोग की शिकायतें बहुत देखने को मिलती हैं। इससे रोगी की भूख मर जाती है। लीवर सूज जाना, बुखार रहना, सिरदर्द, थकान, कमजोरी इसके प्रमुख लक्षण हैं। 24 घंटे में होती है शिकायत पर कार्रवाई
जनस्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन अरविद रोहिला का कहना है कि विभाग की ओर से दूषित पेयजल व सीवर जाम के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया हुआ है। जिस पर शिकायत करने पर 24 घंटे के अंदर कार्रवाई होती है। विभाग समय-समय पर अपने ट्यूबवेलों से पानी के सैंपल लेकर जांच कराता है। अप्रैल से लेकर अब तक 1059 सैंपल में से एक सैंपल फेल हुआ है। उनका कहना है कि लोग अपने कनेक्शनों की जांच करें।