Move to Jagran APP

लॉकडाउन में मोबाइल पर लोग सक्रीय, आंखों के रोग बढ़े,

लॉकडाउन में मोबाइल से गतिविधियां अधिक बढ़ने के कारण एलएनजेपी सिविल अस्पताल में नेत्र रोगियों की संख्या बढ़ी है। जहां पहले अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 15 से 20 मरीज आते थे। वहीं पर लॉकडाउन के दौरान मरीजों की संख्या बढ़कर 60 के पार पहुंच गई है। इसमें चौकाने वाली बात ये है कि इन 60 मरीजों में 20 मरीज स्कूल व कालेजों में पढ़ने वाले बच्चें हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 07:00 AM (IST)
लॉकडाउन में मोबाइल पर लोग सक्रीय, आंखों के रोग बढ़े,
लॉकडाउन में मोबाइल पर लोग सक्रीय, आंखों के रोग बढ़े,

अनुज शर्मा, कुरुक्षेत्र : लॉकडाउन में मोबाइल पर काम अधिक बढ़ने के कारण लोगों में नैत्र रोग आने लगे हैं। अस्पतालों में नेत्र रोगियों की संख्या एक साथ बढ़ गई है। अकेले एलएनजेपी अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 60 के पार पहुंच गई है। जहां पहले अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 15 से 20 मरीज आते थे। इसमें चौकाने वाली बात यह है कि इन 60 मरीजों में 20 मरीज स्कूल व कालेजों में पढ़ने वाले बच्चे हैं।

loksabha election banner

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमनदीप बैंस ने बताया कि एक तरफ अधिक गर्मी और दूसरी ओर मोबाइल, कंप्यूटर व टीवी का अधिक प्रयोग करने से लोगों की आंखों में ड्राइनेस यानी सूखेपन की समस्या बढ़ी है। मरीजों से पूछताछ करने के बाद पता चला कि वे कई-कई घंटों तक अपना कार्य करने के लिए मोबाइल व कंप्यटूर चलाते रहते हैं। जिस कारण उनकी आंखों में धीरे-धीरे दर्द महसूस होने के बाद ही वे अस्पताल में आए है।

अधिक देर तक ना देखे मोबाइल व कंप्यूटर

नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया कि लंबे समय तक मोबाइल व कंप्यूटर पर एकाग्र होकर देखने से आंखों में सूखेपन की समस्या बढ़ती है। इसलिए कुछ देर तक काम करने के बाद मोबाइल व कंप्यूटर से अपना ध्यान हटा ले। क्योंकि एकाग्रचित होकर मोबाइल देखने से आंख झपकना कम कर देती है। जिससे सूखापन बढ़ता है। आंखों को आराम देने के लिए बर्फ को रूमाल में रखकर आंखों पर लगाने से ठंडक महसूस होगी और इससे आंखों को काफी आराम मिलेगा।

चिकित्सक की सलाह के बिना ना लें दवाई

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमनदीप बैंस ने बताया कि आंख में एलर्जी, खुजली और आंसू सूख रहे है तो खुद दवाइयां ना खरीदें। पहले नेत्र विशेषज्ञ को दिखाएं और फिर दवाई लें। बिना चिकित्सक की सलाह के ली गई दवाई आंख के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। चिकित्सकों की माने तो अकसर देखा गया है कि जरा सी लापरवाही के कारण मोतियाबिद के शिकार हो जाते हैं। लॉकडाउन से लेकर अब तक सिविल अस्पताल में प्रतिदिन 60 से 70 मरीज आंखों की ओपीडी के लिए आ रहे हैं। लॉकडाउन में बच्चों से लेकर बड़ों तक ने मोबाइल व टीवी देखने पर जोर दिया है। जिससे ड्राइनेस की समस्या आ रही है।

डा. अमनदीप बैंस, नेत्र रोग विशेषज्ञ, एलएनजेपी सिविल अस्पताल।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.