मनो-नमो से जनता खुश, उम्मीदें भी बरकरार
नए बस अड्डे से लाडवा के लिए बस चली। पिपली पहुंचते-पहुंचते बस में यात्रियों के बीच चुनावी चर्चाएं आरंभ हो गई। गुलजारी लाल नंदा मार्ग पर हिचकोले खाती बस में यात्रियों का कहना था कि भाजपा सरकार ने देश के प्रमुख मार्गों पर सड़कों का जाल बिछा दिया है मगर प्रदेश के आंतरिक हिस्सों में सड़कों को उस हिसाब से नहीं बनाया जितनी बननी चाहिए थी।
सतविद्र सिंह, कुरुक्षेत्र : नए बस अड्डे से लाडवा के लिए बस चली। पिपली पहुंचते-पहुंचते बस में यात्रियों के बीच चुनावी चर्चाएं आरंभ हो गई। गुलजारी लाल नंदा मार्ग पर हिचकोले खाती बस में यात्रियों का कहना था कि भाजपा सरकार ने देश के प्रमुख मार्गों पर सड़कों का जाल बिछा दिया है, मगर प्रदेश के आंतरिक हिस्सों में सड़कों को उस हिसाब से नहीं बनाया जितनी बननी चाहिए थी। भाजपा ने काम तो बहुत किए हैं, मगर अभी भी बहुत से काम होने बाकी हैं। कुरुक्षेत्र जिले को देश के प्रमुख शहरों जैसा बनाना होगा, तभी पर्यटन, रोजगार व व्यापार बढ़ेगा। रोजगार के साधन बढ़े
बस में सवार बीए के छात्र साहिल का कहना था कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में रोजगार के साधन बढ़े हैं। सरकार ने बेरोजगार युवकों को रोजगार देने के लिए समक्ष योजना चलाई। जिसके तहत प्रतिमाह 100 घंटे का काम दिया जा रहा है। ग्रुप डी की भर्ती 18 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी मिली। इसके अलावा पहले क्लर्क भर्ती में लगभग छह हजार युवाओं को रोजगार मिला। अब अन्य पाíटयां इन्हीं की देखादेखी में एक परिवार एक रोजगार की बात कह रही है। लोगों की आधी ही आस पूरी हो पाई
यात्री सुनीता व शोभा रानी का कहना था कि प्रदेश सरकार ने लिपिक की भर्ती के लिए ली परीक्षा में सबसे अधिक महिलाओं को ही तंग किया। महिलाओं के केंद्र प्रदेश के एक छोर से दूसरे छोर पर बनाए। सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात कहती है। बेटियों को परीक्षा देने के लिए दो सौ से ढाई सौ किलोमीटर तक जाना पड़ा। भर्ती तो हुई, मगर ग्रुप डी के पदों पर। ऐसे में पढ़े लिखे नौजवानों को ग्रुप डी में भर्ती होने के लिए मजबूर होना पड़ा। भाजपा सरकार से लोगों को बड़ी आस थी, मगर यह आस आधी ही पूरी हो पाई है। ऐसा भी नहीं है कि विकास नहीं हुआ, विकास तो हुआ लेकिन आधा-अधूरा। मेरिट के आधार पर मिली हैं नौकरियां
इसी बातचीत के दौरान दैनिक जागरण प्रतिनिधि ने यात्रियों की नब्ज टटोली तो यात्री शोभा रानी, पंकज व छात्रा गरिमा का कहना था कि सरकार ने कार्य तो अच्छे किए मगर उन्हें सही ढंग से अमलीजामा नहीं पहनाया गया। रोडवेज के चालकों-परिचालकों का ओवर टाइम बंद किया गया, मगर इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ गई। अब न तो सुबह ही समय से बस मिलती है और न ही सायं। मेरिट के आधार पर नौकरियां मिली हैं, जिसके युवा वर्ग अब जुगाड़ करने के बजाए कंपीटिशन की तैयार कर रहा है। अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो कुछ कमियों को छोड़ सरकार के अधिकतर फैसले व्यक्ति विशेष के लिए नहीं पूरे समाज के लिए सही हैं।