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पॉसपोर्ट बनवा दो, स्वर्ण पदक मैं ला दूंगी

जतिन्द्र ¨सह चुघ, शाहाबाद : .फलाईग सिक्ख मिल्खा ¨सह की बात करें तो यह मानना पड़ेगा कि किन

By Edited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 01:22 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 01:22 AM (IST)
पॉसपोर्ट बनवा दो, स्वर्ण पदक मैं ला दूंगी

जतिन्द्र ¨सह चुघ, शाहाबाद : .फलाईग सिक्ख मिल्खा ¨सह की बात करें तो यह मानना पड़ेगा कि किन विषम परिस्थितियों से निकल कर मिल्खा ¨सह एक आम आदमी से फलाईग सिक्ख बने। ऐसी ही कुछ परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है शाहाबाद के गांव त्यौड़ा की 1500 मीटर व 200 मीटर की स्वर्ण पदक विजेता सुदेश कुमारी को जोकि कई पदक अपने नाम कर चुकी है। इन उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए उसका चयन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रीलंका में 200 मीटर दौड़ प्रतियोगिता के लिए हुआ है लेकिन इस महिला खिलाड़ी की आर्थिक स्थिति इतनी तंग है कि इसके परिवार वाले इसका पासपोर्ट बनवाने में असमर्थ है। इस गरीबी के कारण विदेश में जाकर प्रतिभा दिखाने का मौका सुदेश के हाथ से निकल सकता है।

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सुदेश का हरियाणा सरकार से यही कहना है कि उनका पासपोर्ट बनवा दो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल लाकर दिखाएगी। सुदेश ने कहा कि अब तक वह अपने खर्च पर ओपन एथलेटिक प्रतियोगिताओं में भाग लेती आई है लेकिन उसका परिवार इतना मजबूत नहीं कि अब वह अपने खर्च पर श्रीलंका जा सके। इसलिए उसकी यही गुहार है कि उसका पासपोर्ट बन जाए और उसे श्रीलंका जाने तक का खर्च मिल जाए और उसका दावा है कि वह विदेशी धरती पर सोना जीत कर जरूर लाएगी। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में सुदेश कुमारी ने कहा कि वह स्कूली स्तर से फुटबाल की खिलाड़ी रही हैं और आर्य कन्या महाविद्यालय में पढ़ते हुए उनकी टीम ने बीए प्रथम वर्ष में गोल्ड जीता था। लेकिन उसके बाद उसका रुझान दौड़ने की तरफ हुआ हुआ और वह ओपन प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगी। सुदेश ने बताया कि बीए करने के बाद वह भारत कॉलेज बाबैन से डीपीएड कर रही है। उन्होंने बताया कि 11 से 12 सितंबर राई में आयोजित स्टूडेंट ओलंपिक प्रतियोगिता में गोल्ड हासिल किया और इसके बाद 14 से 16 अक्टूबर तक गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय स्टूडेंट ओलंपिक प्रतियोगिता की 1500 व 200 की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। जिसकी बदौलत उसका चयन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ है जोकि श्रीलंका में दिसंबर माह के पहले सप्ताह आयोजित होगी। सुदेश ने कहा इन सभी प्रतियोगिताओं में वह अपनी तरफ से पैसा खर्च करके गई थी लेकिन अब उसके पास न तो पासपोर्ट है और न ही श्रीलंका जाने के लिए खर्चा। लेकिन अगर सरकार या जनता उसकी आर्थिक मदद करे तो उसका पासपोर्ट बन जाएगा और वह श्रीलंका में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जा सकेगी।


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