एमएसपी पर फसल खरीद के लिए नहीं कर सकते बाध्य : राकेश बैंस
आरटीआइ कार्यकर्ता व भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी राकेश बैंस ने मंडियों में किसान की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर न बिके इसके लिए आयोग द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी मांगी थी।
संवाद सहयोगी, शाहाबाद : आरटीआइ कार्यकर्ता व भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी राकेश बैंस ने मंडियों में किसान की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर न बिके, इसके लिए आयोग द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी मांगी थी। जवाब मिला कि आयोग इस संबंध में किसी प्रकार की बाध्यता नहीं लगा सकता।
राकेश बैंस ने बताया कि उनके द्वारा किसान आयोग से 21 नवंबर 2019 को किसान के हितों को लेकर सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए किसान आयोग से छह बिदुओं पर जानकारी मांगी थी।
यह जानकारी मांगी थी
-प्रदेश की मंडियों में किसी किसान के नाम कोई भी फसल बिकती है या जे फार्म काटा जाता है या आढ़ती से लेन देन होता है। तब किसान को उसकी सूचना जानने का अधिकार है या नहीं।
-प्रदेश की मंडियों में किसी भी किसान के नाम फसल बिकती है तब किसान को सूचना किस प्रकार दी जाती है। इसकी जानकारी (जिस प्रकार बैंक में खाते से लेनदेन की एसएमएस सुविधा प्रदान है या मेरी फसल मेरे ब्योरे में पंजीकरण के उपरांत किसान के फोन में एसएमएस सुविधा है।
-आढ़तियों के पास किसान की फसल के पैसे किस दिन पहुंचे या सरकारी एजेंसी की ओर से किसान की फसल की पेमेंट किस तारीख को दी गई किसान को इसकी जानकारी का क्या प्रावधान है।
-यदि सरकार की ओर से किसानों को जे फार्म काटने के उपरांत एसएमएस की सुविधा थी। तब इस बार धान के सीजन में रोका गया। इस पर आयोग की ओर से अमल में लाई गई कार्रवाई की जानकारी।
-वर्ष 2017-18, 2018-19 में किसानों की फसल बेचने व उनके हितों की रक्षा हेतु व किसानों की दशा सुधारने हेतु आयोग द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी।
-मंडियों में किसान की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर न बिके इसके लिए आयोग की ओर से लिए गए फैसलों की जानकारी मांगी थी।
कुछ जवाब मिले, कुछ नहीं
किसान आयोग हरियाणा ने बिदु नंबर 1 से 3 की सूचना हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड को भेज दी, जबकि ओर बिदु नंबर चार के जवाब में ऐसी कार्रवाई उनके कार्यालय के संज्ञान में नहीं बताया और आयोग किसी प्रकार की कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं बताया। बिदु नंबर पांच की सही जानकारी न देते हुए मात्र किसानों की दशा सुधारने संबंधित आयोग समय समय पर सरकार अनुसंशाएं व सलाह देता है, जिन पर निर्णय सरकार लेती है। बिदु नंबर छह में आयोग ने स्पष्ट किया कि आयोग इस संबंध में किसी प्रकार की बाध्यता नहीं लगा सकता बताया।
राकेश कुमार ने कहा कि किसान आयोग का गठन किसानों के हितों की रक्षा के लिए किया गया था, परंतु मंडियों में किसानों को लूटा जा रहा है। प्रदेश सरकार ने कृषक समुदाय के हितों की रक्षार्थ राज्य में किसान आयोग का गठन 2009 में करने का निर्णय लिया था, जिसकी पहली मीटिग 10 सितंबर 2010 को चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार में हुई थी।