फसल बीमा की क्लेम राशि का नहीं अधिकारियों को पता
फसल बीमा की क्लेम राशि का नहीं अधिकारियों को पता जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सितंबर 2018 में हुई ओलावृष्टि के बाद भले प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को तुरंत राहत देने का दावा किया गया हो, लेकिन अधिकारियों को पांच माह बाद भी ये तक नहीं पता है कि किसानों को क्लेम की राशि कब तक और कितनी मिल पाएगी।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सितंबर 2018 में हुई ओलावृष्टि के बाद भले प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को तुरंत राहत देने का दावा किया गया हो, लेकिन अधिकारियों को पांच माह बाद भी ये तक नहीं पता है कि किसानों को क्लेम की राशि कब तक और कितनी मिल पाएगी। बड़ी बात ये है कि एजेंसी अपने स्तर पर ही तय करेगी कि किसानों को कितना क्लेम प्रति एकड़ देना है। उसमें कृषि अधिकारियों का कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार एजेंसी के कर्मचारी कैसे तय कर सकते हैं कि किसान के खेत में कितना नुकसान हुआ है। वहीं किसान नेताओं ने सरकार और कृषि विभाग के अधिकारियों को चेताया है कि अगर किसानों का क्लेम जल्द नहीं दिया गया तो मजबूरन किसानों को आंदोलन करना होगा। बॉक्स
18 हजार ने किया था क्लेम
कुरुक्षेत्र में ओलावृष्टि की मार इतनी अधिक थी कि किसानों को बड़ा नुकसान हुआ था। जिसके बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने किसानों को बीमा के क्लेम के लिए कहा था। किसानों को इसके लिए क्लेम लेने के लिए 72 घंटे में जानकारी देने का समय दिया गया था। कुरुक्षेत्र से 18 हजार किसानों ने इसके लिए आवेदन किया था। जिसके बाद एजेंसी के कर्मचारियों ने सर्वे भी किया था। बॉक्स
पिछले वर्ष के एक हजार किसानों को नहीं मिला क्लेम
पिछले वर्ष भी जिले के एक हजार किसानों ने क्लेम के लिए आवेदन किया था। जिसका सर्वे कार्य से लेकर पूरा खाका तैयार करने का दावा तो कृषि विभाग और एजेंसी के कर्मचारी कर रहे हैं, लेकिन किसानों को यह क्लेम राशि अभी तक नहीं मिल पाई। जिसका किसान अभी तक इंतजार कर रहे हैं और अधिकारी किसानों को हर दिन कुछ दिनों का समय देकर टाल देते हैं। बॉक्स
मिलेगा जरूर समय की जानकारी नहीं : डीडीए
उप जिला कृषि विकास अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार का कहना है कि किसानों को फसल बीमा राशि जरूर मिलेगी। जिसके एजेंसी की ओर से किए जा रहे कार्य में देरी हो रही है। हालांकि समय पूछने पर उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। वहीं कितनी राशि तय की गई है इस बारे में भी उनका कहना है कि यह कार्य पूरी तरह से एजेंसी का है वही तय करती है कि कितना क्लेम देना है। नुकसान का सर्वे संयुक्त रूप से किया गया था। जिसके बाद एजेंसी को भेज दिया गया। अगला कार्य एजेंसी को करना है। पिछले वर्ष के क्लेम के मामले में बैंक और एजेंसी के बीच में दिक्कत थी। जिसे अब सुलटा लिया गया है। जल्द ही किसानों को क्लेम मिल जाएगा।