साप्ताहिक साक्षात्कार : कंप्यूटर पर काम करने से नहीं लापरवाही बरतने से हो सकता है नुकसान : डॉ. अमन
जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र कंप्यूटर पर काम करते हुए आंखें स्क्रीन पर टिकने लगती हैं यानी आंखें कम झपकती हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
कंप्यूटर पर काम करते हुए आंखें स्क्रीन पर टिकने लगती हैं, यानी आंखें कम झपकती हैं। एक मिनट में हम सामान्य रूप से 16 से 17 बार पलकों को झपकाते हैं। यह प्रक्रिया सामान्य होनी जरूरी है, क्योंकि एक टक निगाह लगाने से आंखों में आंसू टूटने लगते हैं या ऐसे भी कह सकते हैं कि आंखों में नमी कम होने लगती है और ड्राईनेस बढ़ने लगती है। इसके बाद आंखों में इंफेक्शन, धुंधला दिखाई देना संबंधी बीमारियां घेरने लगती हैं। इसलिए खासकर कंप्यूटर पर काम करने वाले लोग हर 20 मिनट के बाद आंखों को थोड़ा आराम दें। कोशिश करें कि 20 मिनट के बाद 20 सेकेंड के लिए आंखों को बंद रखें। एसी में बैठ कर काम करने वाले लोगों के लिए भी यही प्रक्रिया है, क्योंकि एसी भी नमी को सोखता है। यह कहना है अग्रवाल नर्सिंग होम के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अमन अग्रवाल का। दैनिक जागरण संवाददाता विनीश गौड़ से विशेष बातचीत के दौरान डॉ. अमन ने कुछ ऐसे टिप्स दिए जो हर आम व खास आदमी को अपनी अनमोल आंखों की देखभाल करने में काफी सहायक होंगे, तो पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश। प्रश्न : ऐसा माना जाता है कि कंप्यूटर पर काम करने से आंखे खराब हो जाती हैं?
डॉ. अमन : आंखें कंप्यूटर पर काम करने से खराब नहीं होती। यह भ्रांति है, लेकिन अगर आप कंप्यूटर पर काम करते हुए इन आंखों का सही से ख्याल नहीं रखेंगे तो जरूर परेशानी हो सकती है। सबसे पहले तो आपको ऊपर बताया कि आंखों को 20 सेकेंड का आराम जरूर दें। इसके अलावा कंप्यूटर स्क्रीन कुर्सी पर बैठने के बाद आंखों से नीचे हो, न कि ऊंचाई पर। इससे आंखों पर ज्यादा जोर नहीं पड़ता नहीं तो ऊंचाई पर स्क्रीन लगाने से आंखों को लगातार ऊपर रखना पड़ता है जो आंखों के लिए ठीक नहीं है। प्रश्न : कौन सी ऐसी दवा है जिसका प्रयोग कंप्यूटर पर काम करते हुए सामान्य रूप से भी आंखों के लिए बेहतर माना जाता है?
डॉ. अमन : जिस भी दवा के पीछे टीयर्स लिखा होता है उसका प्रयोग आंखों में सामान्य रूप से डालने के लिए कर सकते हैं। यह दवा आंखों को ठंडक पहुंचाती है। इसका काम आंखों में नमी बनाए रखना होता है। कंप्यूटर पर काम करने वाले लोग सामान्य रूप से इसका प्रयोग कर सकते हैं। यानी अगर कोई दिक्कत नहीं है तब भी इसका प्रयोग कर सकते हैं। प्रश्न : लोग कई तरह के सूरमा बेचते हैं, क्या उनका प्रयोग किया जा सकता है और गुलाब जल के बारे में क्या कहेंगे?
डॉ. अमन : मैं ऐसी कोई भी दवा या सूरमा आंखों में डालने की राय नहीं दूंगा जिसकी कोई प्रमाणिकता नहीं हो। आज कल मार्केट में कई तरह के स्टीरोयेड आते हैं। इसके अलावा गुलाब जल आंखों में डालने की बात रही तो आंखों में ठंडे पानी के छींटे भी लगा सकते हैं, जिससे आंखों में नमी बनी रहे। प्रश्न : ऐसा कहा जाता है कि इस मौसम में मोतियाबिद का आपरेशन नहीं कराना चाहिए?
डॉ. अमन : ऐसा कुछ नहीं है। अब तकनीक इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि किसी भी मौसम में मोतियाबिद का आपरेशन करा सकते हैं। पहले आपरेशन कराने के बाद 40-40 दिन तक परहेज करना पड़ता था मगर अब वही परहेज सिर्फ चार पांच दिन का रह गया है, इसलिए यह भ्रांति है। व्यक्तिगत परिचय
नाम : डॉ. अमन अग्रवाल
पेशा : नेत्र रोग विशेषज्ञ
शिक्षा : एमएसआइ
जन्म : 20 अगस्त 1976
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