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संघ की पाठशाला से संसद तक पहुंचे नायब सैनी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से जुड़े नायब उनके खासमखास हो गए और इसका फायदा उन्हें पहले दिन से ही मिलना शुरु हो गया था। विधानसभा की टिकट से लेकर टिकट टू पार्लियामेंट तक। दो बार नारायणगढ़ विधानसभा में उन्हें मनोहर लाल ने ही मैदान में उतारा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 08:01 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 06:31 AM (IST)
संघ की पाठशाला से संसद तक पहुंचे नायब सैनी
संघ की पाठशाला से संसद तक पहुंचे नायब सैनी

पंकज आत्रेय, कुरुक्षेत्र : प्रदेश के श्रम, रोजगार एवं खनन राज्य मंत्री नायब सैनी अब 17वीं लोकसभा के सांसद हो गए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से जुड़े नायब उनके खासमखास हो गए और इसका फायदा उन्हें पहले दिन से ही मिलना शुरु हो गया था। विधानसभा की टिकट से लेकर टिकट टू पार्लियामेंट तक। दो बार नारायणगढ़ विधानसभा में उन्हें मनोहर लाल ने ही मैदान में उतारा। भाजपा के निवर्तमान सांसद राजकुमार सैनी के बागी होने के जाने के बाद से ही वे कुरुक्षेत्र और कैथल में पूरी तरह से सक्रीय हो गए थे। राजकुमार सैनी की काट के रूप में और सैनी समाज की वोट साधने के लिए पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा था। इस कोशिश में वे भाजपा के लिए तुर्प का इक्का साबित हुए और कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट जीतकर अपने राजनीतिक गुरु मुख्यमंत्री मनोहर लाल की झोली में डाली। नायब सैनी के पिता सेना में रहे हैं और कॉलेज में उनकी गिनती होनहार विद्यार्थियों में होती थी। इसी दौरान वे आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित हुए और मनोहर लाल खट्टर से उनका मिलना हुआ। आरएसएस से वे भाजपा में आए और 2005 में विधानसभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस के रामकिशन गुर्जर से बुरी तरह हारे। 2014 में वे 24361 वोटों से जीतकर पहली बार विधायक बने और पहली ही बार में राज्यमंत्री बनाए गए। कुरुक्षेत्र से पांचवें सैनी

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कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर जनता पार्टी और इनेलो भी सैनी समाज के नेताओं को टिकट देकर लोकसभा भेजती रही हैं।

1980-84 में यहां से जनता पार्टी की टिकट पर मनोहर लाल सैनी, 1989-91 में जनता दल से गुरदयाल सिंह, 1998-99 और 1999-2004 में इनेलो से कैलाशो सैनी सांसद बने। 2014 में भाजपा ने राजकुमार सैनी को मैदान में उतारा था, तब उनके खिलाफ इनेलो से बलबीर सैनी ही चुनाव लड़ रहे थे। 2019 के महासमर में भी दो सैनी उम्मीदवार मैदान में थे। भाजपा के नायब सैनी और लोसुपा-बसपा गठबंधन की शशि सैनी। नायब सैनी पहले दिन से मजबूत रहे। इसकी दो वजह रही। एक तो उन्हें सबसे पहले टिकट देकर मैदान में उतार दिया गया, जिससे नौ विधानसभाओं में लोगों तक पहुंचने का पूरा समय उन्हें मिल गया। दूसरी, प्रदेश सरकार के काम और केंद्र में मोदी के नाम पर उन्हें वोट पड़े। राज्यमंत्री पद पर चर्चा शुरु

नायब सैनी के मोदी सेना में पहुंचने पर प्रदेश की सरकार में श्रम, रोजगार एवं खनन राज्य मंत्री का पद खाली हो जाएगा। इस पद पर साथ ही साथ नई ताजपोशी को लेकर भी कयास शुरु हो गए हैं। लाडवा के विधायक डॉ.पवन सैनी का नाम इनमें सबसे आगे चल रहा है। राजनीतिक गलियारों में जींद उपचुनाव में विधायक चुने गए कृष्ण मिढा की भी चर्चा है। बहरहाल लोकसभा चुनाव के नतीजों ने प्रदेश सरकार के उत्साह को सातवें आसमान में पहुंचा दिया है। यह ऊर्जा इसी साल सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी काम आएगी। भाजपा के वोट बैंक में इजाफा

प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन के बाद हुए सभी चुनावों में भाजपा के वोट बैंक में इजाफा हुआ ही है। नगर निगम के चुनाव हों या जींद उपचुनाव। कुरुक्षेत्र लोकसभा का बड़ा हिस्सा इस आंदोलन की जद में रहा और आग में घी का काम करने वाले सांसद राजकुमार सैनी यहीं से रहे। उन्होंने शुरुआत से ही अपनी राहें भाजपा से अलग कर ली थीं। इसके चलते माना जा रहा था कि नायब सैनी की जीत का अंतर ज्यादा नहीं रहेगा, लेकिन हुआ इसके एकदम विपरीत। राजकुमार सैनी को कुरुक्षेत्र लोकसभा से चार लाख 18 हजार 112 वोट मिले थे, जो कि कुल वोटिग का 36.81 प्रतिशत था। इस बार नायब सैनी को करीब 56 प्रतिशत वोट मिले हैं।


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