आज के हरियाणा का नक्शा पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा की देन
एक नवंबर 1966 को अस्तित्व में आए जिस हरियाणा की तस्वीर आज आम जन के सामने है इस तस्वीर को बनाने में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने ही अंबाला से लेकर सोनीपत तक और दूसरी ओर यमुनानगर से लेकर सिरसा तक के क्षेत्र को हरियाणा नाम देकर अलग राज्य बनाने पैरवी की।
विनोद चौधरी, कुरुक्षेत्र : एक नवंबर 1966 को अस्तित्व में आए जिस हरियाणा की तस्वीर आज आम जन के सामने है इस तस्वीर को बनाने में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने ही अंबाला से लेकर सोनीपत तक और दूसरी ओर यमुनानगर से लेकर सिरसा तक के क्षेत्र को हरियाणा नाम देकर अलग राज्य बनाने पैरवी की। यह उन्हीं की मेहनत और लग्न का ही परिणाम है कि आज हरियाणा देश में ही नहीं विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। केवल इतना ही नहीं जिस क्षेत्र में गुलजारी लाल नंदा को पंजाब रीआर्गेनाइजेशन एक्ट के लिए गठित कमेटी का चेयरमैन बनाकर भेजा गया था, वही उन्हें इतना पसंद आया कि उसके बाद वह अपना गृह क्षेत्र छोड़कर यहीं आ बसे और दो बार कुरुक्षेत्र लोकसभा से सांसद बने। उन्होंने अपना पूरा जीवन कुरुक्षेत्र की तीर्थो की जीर्णोद्धार में लगा दिया।
पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा के उन दिनों के साथी रहे वरिष्ठ नागरिक विजय सभ्रवाल ने बताया कि उन दिनों पंजाब के कुछ नेता अलग पंजाबी सूबे की मांग कर रहे थे। इसको लेकर अच्छा खासा बवाल मचा हुआ था। इसी बवाल को देखते हुए पार्लियामेंट में पंजाब रीआर्गेनाइजेशन कमेटी का गठन किया गया। उन दिनों प्रधानमंत्री की कमान स्व. इंदिरा गांधी के हाथों में थी। इस कमेटी का चेयरमैन पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा को बनाया गया। गुलजारी लाल नंदा ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूरे प्रदेश का भ्रमण किया और इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर संसद में सौंपी। उन्होंने बताया कि पंजाबी सूबे की मांग कर रहे नेता जीटी रोड पर पानीपत तक और सिरसा जिले के बड़े हिस्से को पंजाब में मिलाने की मांग कर रहे थे। लेकिन गुलजारी लाल नंदा ने इस क्षेत्र के भ्रमण के बाद जो अपनी रिपोर्ट तैयार की थी उसी में आज के हरियाणा की तस्वीर खींची गई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा बना और हलके विरोध के बाद पंजाब के नेता भी इस बात को मान गए। हरियाणा के ही हो गए नंदा जी
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने इस पूरे क्षेत्र का भ्रमण किया। उन्हें इस क्षेत्र के लोगों की सादगी और भोलापन ऐसा भाया कि वह अहमदाबाद छोड़कर यहीं पर आ डटे। उसके बाद वह 1967 और 1971 में दो बार कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने। राजनीति से किनारा करने के बाद भी वह कुरुक्षेत्र में ही आ बसे और यहां के तीर्थों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाते हुए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का गठन किया।