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मंजीत बना मौत को मात देने वाला शाहाबाद का दूसरा प्रिस

शाहाबाद के गांव मामूमाजरा का मंजीत मौत का मात देने वाला क्षेत्र का दूसरा प्रिस बन गया है। प्रिस ने 60 फीट गहरे गढ्ढे में गिरने के बाद जिदगी की जंग जीत ली थी तो मंजीत ने साढ़े तीन सौ फीट नीचे गिरने के बाद मौत को मात दी है। बेशक इस हादसे में मंजीत की टांग टूटी है लेकिन जिदगी सलामत है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 09:40 AM (IST)
मंजीत बना मौत को मात देने वाला शाहाबाद का दूसरा प्रिस
मंजीत बना मौत को मात देने वाला शाहाबाद का दूसरा प्रिस

जतिद्र सिंह चुघ, शाहाबाद : शाहाबाद के गांव मामूमाजरा का मंजीत मौत का मात देने वाला क्षेत्र का दूसरा प्रिस बन गया है। प्रिस ने 60 फीट गहरे गढ्ढे में गिरने के बाद जिदगी की जंग जीत ली थी तो मंजीत ने साढ़े तीन सौ फीट नीचे गिरने के बाद मौत को मात दी है। बेशक इस हादसे में मंजीत की टांग टूटी है लेकिन जिदगी सलामत है। हम बात कर रहे हैं कुमार हट्टी नाहन रोड सोलन में गिरे एक होटल के भवन की, जिसकी नींव शाहाबाद से जुड़ी है। शाहाबाद के गांव मामूमाजरा के मनजीत सिंह व पंजाब में रहने वाले दोस्तों ने यह होटल अपने दोस्त भूपेंद्र सिंह को 35 हजार रुपये प्रति माह किराए पर दिलवाया हुआ था। इस होटल का नाम साहिब होटल रखा हुआ था। मंजीत बताते हैं कि वह और उसका दोस्त कुक्की निवासी गांव नगला शुक्रवार को सोलन होटल पर पहुंचे थे, जहां उसके दोस्त भूपेंद्र ने बताया कि रविवार को होटल फौजियों के लिए बुक कर रखा है और दोपहर को उनका लंच करने के बाद यहां से वापिस शाहाबाद जाएंगे। भवन गिरने से पहले यह हुई घटनाएं

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फौजियों में से एक साथ की परमोशन हुई थी और बुकिग के चलते सभी लोग पार्टी की तैयारी करने में जुटे थे। होटल की तीसरी मंजिल पर मंजीत सिंह, कुक्की, परमजीत, राकेश शर्मा, निर्मल, बिट्टू, रमेश, भूपेंद्र मौजूद थे। मंजीत ने बताया कि साढ़े तीन बजे वह तीसरी मंजिल की खिड़की पर बैठा जींद का एक फौजी उसके सामने बैठा बता रहा था कि तीन माह बाद उसकी रिटायरमेंट है उसके बाद सारा समय फैमिली को देगा, लेकिन इसी बीच लगभग 3 बजकर 40 पर अचानक ऊपर की छत नीचे आ गिरी और वह फौजी वहीं धंस गया, जबकि स्वयं मंजीत खिड़की से बाहर गिर गया और लगभसग साढे़ तीन सौ फीट नीचे गिरता चला गया। मंजीत ने बताया कि वह मलबे के साथ-साथ नीचे गया अगर वह मलबे में धंस जाता तो शायद वह भी आज इस दुनिया को नहीं देख पाता। मंजीत ने बताया कि इसी तरह रघुबीर कुक्की भी नीचे गिरता हुआ पिल्लरों में फंस गया जिस वजह से उसकी भी जान बच गई। मंजीत ने बताया कि वह आठ दोस्त थे सौभाग्य से सभी की जान बच गई है लेकिन इस हादसे में मारे गए सभी लोगों व फौजियों का उन्हें बेहद शोक है। मंजीत कहते हैं कि उस ²श्य को याद करके अभी भी वह सहम जाता है और उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।


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