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घोषणा पत्र के वादे लुभा रहे लोगों को

आम से लेकर खास व्यक्ति सब इन दिनों चुनाव को लेकर चर्चा करने में मशगूल हैं। शनिवार का पूरा दिन राजनीति के नाम रहा। हर गली मोहल्ले में अलग-अलग पार्टियों के लंबे-लंबे जुलूस और काफिले गुजरे। वहीं इन सबसे दूर झांसा रोड पर गांव भिवानी खेड़ा में एक दुकान के बाहर बैठे लोग चुनावी बहस में इस कदर उलझे हुए थे कि कब उनके पास कौन आया इसकी उन्हें कोई खबर नहीं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 06:40 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 06:40 AM (IST)
घोषणा पत्र के वादे लुभा रहे लोगों को
घोषणा पत्र के वादे लुभा रहे लोगों को

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : आम से लेकर खास व्यक्ति सब इन दिनों चुनाव को लेकर चर्चा करने में मशगूल हैं। शनिवार का पूरा दिन राजनीति के नाम रहा। हर गली मोहल्ले में अलग-अलग पार्टियों के लंबे-लंबे जुलूस और काफिले गुजरे। वहीं इन सबसे दूर झांसा रोड पर गांव भिवानी खेड़ा में एक दुकान के बाहर बैठे लोग चुनावी बहस में इस कदर उलझे हुए थे कि कब उनके पास कौन आया इसकी उन्हें कोई खबर नहीं। यहां बहस का मुद्दा घोषणा पत्र बना हुआ था। किसी ने भाजपा को जिताया तो किसी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को आकर्षक बताया। घोषणा पत्र पर लोगों की पूरी नजर है। इसके साथ ही यह भी माना कि चारों लोकसभा क्षेत्रों में दो उम्मीदवारों के बीच आमने सामने की टक्कर है।

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ताराचंद ने कहा कि पंजाब के समान वेतनमान की मांग अब तक कर्मचारियों की अधूरी है। आगे सरकार को यह मांग पूरी करनी चाहिए। जयपाल ने कहा कि किसानों के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट किसानों के लिए संजीवनी बूटी होगी। अगर सरकार किसानों को खुशहाल बनाने का काम करेगी तो प्रदेश के लोगों को पेस्टीसाइड वाला अनाज कम मिलेगा। इसलिए सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए। कर्मचंद भी इस बहस के बीच में कूद गए और बोले कि भाजपा और कांग्रेस का घोषणा पत्र बहुत ही सोच समझकर बनाया गया है। कांग्रेस ने बुढ़ापा पेंशन पांच हजार करने का आश्वासन दिया, जबकि भाजपा ने तीन हजार से ऊपर पेंशन करने का आश्वासन दिया है। लोगों को घोषणा पत्र की असलियत के पीछे भी जाना चाहिए। इसके बाद राकेश, बलबीर सिंह, शरणजीत सिंह और रामगोपाल ने कहा कि मोटरव्हीकल में किए गए बदलाव के बारे में गुजरात प्रदेश सरकार ने दामों में कमी की, इसी तरह से हरियाणा सरकार को भी इसमें कुछ कमी करनी चाहिए, ताकि आम लोगों के सिर पर एकदम से बोझ न पड़े।


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